श्री तेंजिंग ग्यात्सो ने कहा है कि " यदि आप अपने आप को छोटा समझते है तो कभी एक मच्छर के साथ सो कर देखिए "अर्थात कभी भी अपने आप को छोटा मत समझिये क्योंकि कभी - कभी छोटे भी बड़ा कमाल कर देते है । बड़े होने का सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है परंतु जिंदगी में एक पल आता है जब आप किसी व्यक्ति के अभिभावक बनते है जहां आप अपने नियम कायदे या कानून चलाते हैं । शिष्टाचार की नई परिभाषा को गढ़ते है और अपनी इच्छा से शासन चलाते हैं । अपने अनुजों पर आदेशों की बारिश करते हैं और आदेश का पालन न होता देख गरजते और बरसते भी है ।
जब छोटे आपसे रुठ जाते हैं तो यह आपका कर्त्तव्य है कि आप उनकी बातें सुने, उनकी शिकायतें सुने और किस कारण से रुठे हैं जानने का प्रयास करे । छोटे कभी - कभी छोटी सी बात को लेकर भी विचलित हो जाते है, यह उनका अधिकार भी है और धर्म भी । एक जगह होती है जहां यह मर्यादा भंग नहीं होती हैं और उस मर्यादा के बाहर सहनशक्ति आती है । सहनशक्ति बड़ों से छोटों की ओर जाती है या सिखाया जाता है । जब किसी के बड़े भाई बनते है तो यह निश्चित करना जरुरी है कि आप छोटे भाई या बहन को कितनी छूट देते है । मर्यादा तब भंग हो जाती है जब आप अपने बनाये हुए नियमों पर ही नहीं चलते है । छोटों का कर्तव्य है बात मानना और बड़ों का अपनी वाक्पटुता दिखाना । कभी - कभी बड़ों को छोटों के शांत भावों को पढ़ते आना चाहिए या उन्हें सुनना चाहिए ।
बड़े भी कभी - कभी नाराज हो जाते है तो यह छोटों का कर्तव्य है कि कैसे अपना धर्म निभाये । क्षमा बड़ो को चाहिए छोटों को उत्पात यही वह पंक्ति है जिस पर दुनिया के रिश्ते टिके रहते हैं । बड़े कभी मौन धारण कर लेता है क्योंकि उनके मौन में कई राज छिपें होते है जिन्हें छोटों को पढ़ना आना चाहिए ।
Gud keep it up
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