सप्त सुरों का बहता सरगम
पाञ्चजन्य का घोष हूं।
अखिल विश्व का कल्याण करती
मां भगवतगीता का उद्घोष हूं।
मैं भारत हूं , भाग्य विधाता हूं।।
यह पंक्तियां है "मैं भारत हूं" नामक काव्य संग्रह की है। इस कविता संग्रह को लोकेन्द्र सिंह जी ने लिखा है। प्रकाशन का कार्य संदर्भ प्रकाशन ने किया है। यह काव्य संग्रह केवल कविताओं का ही नहीं बल्कि भावनाओं, संवेदनाओं और अभिव्यक्ति का भी संग्रह है। कुल 42 कविताओं को इस संग्रह में शामिल किया गया है। इस काव्य संग्रह में विभिन्न मुद्दों पर लिखी कविताओं का संकलन है।
देशभक्ति,जनचेतना, देश प्रेम जैसे विषयों पर भी कविताओं को प्रमुखता दी गई हैं। कुछ विषयों पर यहां उदाहरण प्रस्तुत है। महान भारत के बारे में एक सुंदर कविता लिखी है जिसकी कुछ यहां पंक्तियां प्रस्तुत है:-
नक्सलवाद से छलनी/देखा है ह्रदय उसका
स्वसंतान के कारण उठे प्रश्नों में उलझते देखा है।
फिर भी, प्रति क्षण उसकी चमकती आंखों में
विश्व गुरु बनने का सपना भी देखा है
परम पूजनीयता के साथ
देखा है उसे प्रशस्त कर्मपथ पर बढ़ते हुए।
देह को झकझोर देने वाली देशभक्ति परक कविता के अलावा कवि ने सामाजिक ताने-बाने पर भी कविता लिखी है जिसमें मां पर लिखी कविता के अंश यहां लिख रहा हूं:-
लुका-छिपी के खेल में
जब तू छिप जाती है।
हवा में घुली तेरी खुशबू
मुझको तेरा पता बताती है।
मां तू जादू की पुड़िया है।
तेरा प्यार सबसे बढ़िया है।
मां जैसे मार्मिक विषय पर कविता लिखने के अलावा कवि ने अपने काव्य संग्रह में सामाजिक अन्याय जैसे भ्रूण हत्या पर भी कविता को शामिल किया है। जिसके अंश यहां प्रस्तुत है:-
सृष्टि की निरंतरता हेतु रणचण्डी बनकर
काल के क्रूर पंजों से मां मुझे बचा लो।
कवि ने यहां समाज में हो रहे अन्याय को उजगार करने की कोशिश की है जो कविता के माध्यम से साफ-साफ झलकता है। ऐसा कम ही होता है कि कोई अपने काव्य संग्रह में पिता को जगह दे लेकिन इस संग्रह में पिता जगह प्राप्त करने में सफल रहे है। पिता विषय पर कविता के कुछ भाग प्रस्तुत है:-
पिता पेड़ है बरगद का
सुकून मिलता है उसकी
छांव में
मुसीबत की भले बारिश हो
कोई डर नहीं , वो छत है
घर में।
पिता के अलावा इस कविता संग्रह में विभिन्न विषयों पर आधारित कविताओं का संग्रह है। सामाजिक बुराई जैसे भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दों पर भी कविता लिखी है। गांव से लेकर शहर तक , रिश्तों से लेकर दोस्ती तक हर विषय पर कविता लिखकर अपने विचार प्रस्तुत किए है। चाहे प्रकृति हो या भारत माता का वर्णन करना हो सभी नपे-तुले शब्दों में कविता के माध्यम से वर्णन किया गया है।
काव्य संग्रह की भाषा की बात करें तो भाषा सरल,सहज है। कविता को सूक्ष्मता के साथ परोसा गया है। कविता की तारतम्यता बनी रहती है जो कि पाठक को आनंद प्रदान करती है। इस संग्रह में हिंदी के अलावा उर्दू, देशज, इंग्लिश आदि शब्दों को आसानी से पढ़ा जा सकता है। कही-कही कठिन शब्दों का प्रयोग किया गया है परंतु शब्दों को समझने में कोई कठिनाई नहीं आती है। वीर,करुण,रौद्र,वात्सल्य आदि रसों को प्रधानता दी गई है।
सभी विषयों को एक माला में पिरोता हुआ यह काव्य संग्रह बहुत ही आनंददायक है । एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।
📃BY_vinaykushwaha
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