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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

सुप्रसिद्ध वक्ता : विजय अग्रवाल



'जिस काम में हमारी रुचि होती है उस काम को करने में हमें समय का पता नहीं चलता और जो काम हमें बोझ लगता है तो उसे पूर्ण करने में एक-एक सेकेण्ड बहुत भारी होता है।' यह कहना है डॉ विजय अग्रवाल का। आज भारत में डॉ विजय अग्रवाल का नाम कौन नहीं जानता एक प्रभावी वक्ता के रूप में उन्होंने सभी वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है। छत्तीसगढ़ में जन्में विजय अग्रवाल बतौर एक दुकानदार के रूप में करियर की शुरुआत की और अपने अथक प्रयासों और परिश्रम से आईएएस बने। डॉ विजय अग्रवाल एक प्रभावी वक्ता है जिन्होंने जीवन प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषय पर किताबों और उद्बोधन के जरिए लोगों को समय का महत्व बताया है।

डॉ विजय अग्रवाल ने कई पुस्तकें लिखी जिनके माध्यम से उन्होने समाज को दर्पण दिखाने की बात कही है। 'समय आपकी मुट्ठी में', आप आईएएस कैसे बनेंगे आदि पुस्तकों ने लोगों के बीच जगह बनाई है। आप आईएएस कैसे बनेंगे जैसी पुस्तक ने सिविल सर्विस के प्रति रूझान रखने वाले लोगों के बीच महत्वपूर्ण जगह बनाई है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर विजय अग्रवाल ने भारत भ्रमण कर लोगो को और देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में समय प्रबंधन पर उद्बोधन देकर लोगों को जागरुक बनाने की कोशिश की है। 

'Manage yourself, time will be managed' कहना है डॉ विजय अग्रवाल का। यदि आप खुद को व्यवस्थित रखते है तो समय स्वयं ही प्रबंधित हो जाएगा। समय प्रबंधन करने का इससे बढ़िया तरीका कुछ भी नहीं हो सकता है। विजय अग्रवाल कहते है कि जब तक आप खुद नहीं चाहते तब तक आप समय प्रबंधन नहीं कर सकते हैं।

समय का विश्लेषण करना असंभव है क्योंकि अदृश्य चीजों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना कठिन होता है। डॉ विजय अग्रवाल ने उज्जैन में स्थापित शिवलिंग को महाकाल क्यों कहा जाता है? यह प्रश्न उठाया और उसका जबाव देते हुए कहते है जो समय  से भी महान है, उसे महाकाल कहा जाता है। जिस प्रकार सूर्य प्रत्येक दिन उदय और अस्त होता है उसी प्रकार समय भी अग्रसर होता है ठहरता नहीं है।

समय प्रबंधन तभी सफल होगा जबकि आप किसी भी कार्य को समर्पण और पूरे तन-मन से काम करते हैं। आपको यह जरुरी है कि आप जिस भी काम को हाथ में ले उसे पूरा करने का प्रयास करें और उसे नई ऊंचाईयों तक ले जाना का प्रयास करें। जिस प्रकार सूर्य और पृथ्वी वही काम करते नही ऊबते ठीक उसी प्रकार हमें भी नहीं ऊबना चाहिए  और अपने कार्य के प्रति समर्पण और सम्मान रखते हुए काम अंजाम तक पहुंचाना चाहिए। यह कहना डॉ विजय अग्रवाल का। 

ज्ञान का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि मात्र 'जानना' ज्ञान का मतलब (knowledge should be apply) ज्ञान को किसी काम के लिए उपयोगी बनाया जाए वह ज्ञान है। समय रहते किस प्रकार ज्ञान का प्रयोग करें यही समय प्रबंधन है।

जिस प्रकार ज्ञानयोग,भक्तियोग और कर्मयोग से मिलकर समययोग बनता है। समययोग को सीधे सरल शब्दों में कहा जा सकता है 'beyond the time' अर्थात् जो समय से परे है वही 'समययोग' है।

(माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविधालय भोपाल के सत्रारंभ समारोह 2017 के दौरान डॉ विजय अग्रवाल के उद्बोधन का कुछ अंश )




  


 

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