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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

मध्यप्रदेश


1 नबम्वर 1956 को जब एक राज्य अस्तित्व में आया जिसका नाम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 'मध्यप्रदेश' रखा। सी पी और बरार से मध्यप्रदेश बन गया। आठ जिले महाराष्ट्र राज्य को दे दिया गया और सुनैल टप्पा तहसील  राजस्थान को दे दिया गया और सिरोंज तहसील को मध्यप्रदेश में मिला लिया गया और बन गया मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश का एक बार फिर से गठन किया गया और 1नबम्वर 2000 को मध्यप्रदेश के बरार वाले हिस्से को अलग करके एक नया राज्य बना दिया गया जिसका नाम था 'छत्तीसगढ'। कभी मध्यप्रदेश की गिनती सबसे बड़े राज्य में होती थी और आज दूसरे सबसे बड़े राज्य के रूप में होती है।

मध्यप्रदेश भारत के दिल में बसा हुआ है जो भारत के लिए धड़कता है। मध्यप्रदेश का कण-कण भारत के निर्माण में निस्वार्थ भाव से लगा हुआ है। मध्यप्रदेश के जन-जन की यही भावना है कि 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' और 'एक मध्यप्रदेश, श्रेष्ठ मध्यप्रदेश'। प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण यह राज्य भारत को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। विन्ध्याचल, सतपुडा , मैैकल आदि पर्वतश्रृंखलाएं भारत की इस धरा को सम्पन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मध्यप्रदेश की वन संपदा जो भारत में सर्वाधिक है, भारत की सुंदरता में चार चांद लगा रही है।

मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है। भारत में सर्वाधिक नदियों का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश में है। मध्यप्रदेश की लगभग 350 नदियां लगभग भारत की 15 करोड़ आबादी को पोषित कर रहीं है। भारत की सबसे पवित्र नदी और शिवतनया, शांकरी , मैकलसुता, रेवा, नामोदास आदि नामों से विख्यात नर्मदा करोड़ो लोगों को पोषित भी कर रही है और मां की तरह दुलार भी दे रही है। नर्मदा, चंबल, सोन, बेतवा, ताप्ती, माही, केन आदि नदियां पर बने बांध करोड़ो लोगों की आशा का सफलता सूचकांक है। गांधीसागर, ओंकारेश्वर, इंदिरासागर, हलाली, मांधाता, राजघाट, बाणसागर बांध मध्यप्रदेश के साथ-साथ देश के अनेक राज्यों को जगमग कर रहे हैं और साथ ही साथ खेतों को सिंचित भी कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश का इतिहास कोई हजार साल पुराना नहीं है यह तो लगभग एक लाख साल पुराना है। यह तो भीमबेटिका के शैलाश्रय स्वयं ही प्रमाणित करते है। भारत में इंसान के अस्तित्व की सर्वप्रथम प्रमाणिकता भी मध्यप्रदेश में नर्मदा तट में ही देखने मिलती है। बुद्ध के उपदेश और उनकी शिक्षा की जानकारी हमें सांची, भरहुत(सतना), कसरावद के स्तूपों से मिलती है। भारत की सबसे पवित्र और पुरातन नगरी में से एक उज्जैन अपने वैभव से आज तक भारत को पल्लवित कर रहा है। महाकाल की नगरी उज्जैयिनी आज भी भस्म की भीनीं सुगंध से सुरभित हो रही है। बेतवा नदी के तट पर स्थित ओरछा अपने एकमात्र राम को राजा के रुप में समर्पित मंदिर को रुप में विख्यात है। खजुराहों को कौन नहीं जानता जिसकी स्थापत्य कला का आजतक कोई तोड़ नहीं है। धुंआधार जलप्रपात जिसका कोई सानी ही नहीं है। महेश्वर, ओंकारेश्वर, चंदेरी, मांडू, अमरकंटक, मैहर, उदयगिरि, भोजपुर, बाघ की गुफाएं आदि अनेक स्थान मध्यप्रदेश को श्रेष्ठ बना रहे है।

रुपनाथ(कटनी) और गुर्जरा(दतिया)आज सम्राट अशोक की गवाही देता है। मध्यप्रदेश के इतिहास में कई राजा रजवाड़ों का हाथ रहा है। मौर्य, गुप्त, शुंग, राष्ट्रकूट, पल्लव, चंदेल, चौहान, कल्चुरी, गौंड, मराठा, सिंधिया, होल्कर और मुगलों का योगदान रहा हैं। कई शहरों को बसाया तो कई स्मारक बनाई । अलग-अलग शैली की स्थापत्य कला की सहायता से संरचनाओं में जान फूंकने की कोशिश की है।

मध्यप्रदेश की धरा भारत के लिए है और इसका एक-एक कण मातृभूमि के लिए समर्पित है।
जय मध्यप्रदेश, जय भारत

📃BY_ vinaykushwaha


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