21जून 2017 को तीसरा विश्व योग दिवस मनाया गया। भारत सरकार के अथक प्रयासों से इसे भारतीय सीमा के बाहर ले जाया गया । आज लगभग 180 देश विश्व योग दिवस मना रहे है। चाहे वह मुस्लिम देश हो या इसाई या यहूदी हो या बौद्ध सभी ने योग को स्वीकारा है । योग के सहारे भारत विश्व में सॉफ्ट पावर के रूप में उभर रहा है ।योग के स्वास्थ्यवर्द्धक लाभ बताकर देशों को योग के छत्र के नीचे लाया गया है।
योग क्या है? सभी ने इसकी अलग-अलग परिभाषा दी है ।कई लोग तो केवल इसे आध्यात्मिकता से जोड़ते है । कई लोग शारीरिक और मानसिक संतुलन के रूप में देखते हैं। कई लोग इसे केवल शारीरिक व्यायाम के रूप में देखते हैं । कई लोग इसे शारीरिक क्रिया के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त करना तथा मानसिक शांति प्राप्त होने के बाद मोक्ष को प्राप्त करना ।
योग का मतलब होता है 'जोड़ना'। जोड़ने से तात्पर्य है कि तन को मन से जोड़ना । योग क्रिया नहीं है यह तो साधना है ।
'योगः चित्त-वृत्ति निरोधः'
योग का एक व्यापक अर्थ है, जिसे सूक्ष्म रूप से समझने की जरुरत है । गीता में वर्णित यह पंक्तियां -
'योगः कर्मसु कौशलम् '
अर्थात् कर्मों के योग से कुशलता प्राप्त होती है ।
'योगस्थः कुरू कर्माणि'
अर्थात् योग में रत रहकर कर्म करना चाहिए।
योग की एक लंबी परम्परा है। जिसे समझने की जरुरत है ।भारत में योग का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है । योग का प्रथम साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता के उत्खनन से प्राप्त पत्थर पर पशुपतिनाथ नाथ की अंकित मूर्ति है। इसमें उन्हें योग करते हुए दिखाया गया है । योग का प्रथम लिखित साक्ष्य हिंदु धर्म की सबसे पुरानी किताब ऋग्वेद में मिलता है। योग ने लगभग हर सभ्यता में जगह बनाई । योग का उल्लेख श्रीमद्भागवतगीता में वृहद रूप से देखने को मिलता हैं। श्री कृष्ण का कुरूक्षेत्र में अर्जुन को उपदेश दिया जिसमें भी योग छिपा हैं । पतजंलि के योगसूत्र को कौन नहीं जानता । योगसूत्र पहली पूर्णतः योग को समर्पित पुस्तक है।इसके अलावा सांख्यदर्शन,कठोपनिषद् ,यजुर्वेद , अथर्ववेद आदि में योग का उल्लेख मिलता हैं। हिंदु धर्म ग्रंथों के अलावा जैनों और बौद्धों के धर्म ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है ।
विभिन्न धर्मों में योग को अलग - अलग रूप में परिभाषित किया है । कोई योग को मोक्ष पाने का साधन मानते है । कोई भगवान की प्राप्ति का माध्यम । परंतु कैसे ? बौद्ध धर्म में अष्टांगिक मार्ग का उपयोग करके मध्यम मार्ग के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति बताई है । जैन धर्म में दस महाव्रतों (पांच अणुव्रत और पांच महाव्रतों ) के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति का उल्लेख मिलता है । योग मुख्यतः दो धर्मों में ज्यादा प्रासंगिक है , हिंदु और बौद्ध।
योग को लोगों ने कई भागों में बांटे है । मुख्यतः योग के तीन भाग है राजयोग , कर्मयोग और ज्ञानयोग । आजकल जिस योग का प्रचलन सर्वाधिक है उसे हठयोग के नाम से जाना जाता है । हठयोग , राजयोग का ही भाग है । पंतजलि ने राजयोग को अष्ठ+अंग+योग यानी अष्ठांग में बांटा हैं । ये अष्टांग इस प्रकार है यम,नियम, आसन, प्रणायाम,प्रत्याहार,ध्यान,
धारणा, समाधि ।तीनों प्रकार के अलावा भी कई प्रकार है जैसे पाशुपत योग, शैवयोग, वैष्णव , हीनयान,महायान,महासांगिक,कपालिक आदि है ।
योग को आज सभी देश अपना रहे है जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य लाभ है । मुस्लमान ,इसाई और यहूदी जैसे धर्मों ने गैर - धार्मिक मानकर वहिष्कार किया था । आज योग पर अनुसंधान होने से और स्वास्थ्यपरक होने से सभी देश इसे अपना रहे हैं। योग केवल भौतिक रुप से स्वस्थ नहीं रखता। मानसिक और भावनात्मक रूप से शांति प्रदान करता है।डिप्रेशन,हाइपरटेंशन,बीपी,अस्थमा,ह्दय लोग,मधुमेह,माइग्रेन,उदररोग आदि को योग के सहारे दूर किया जा सकता है ।
"जिंदगी में योग लाये ,रोगों को दूर भगाये।"
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