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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

चलते - चलते ( श्रृंखला 2 )

आज मैं चाय की दुकान पर चाय की चुस्कियाँ ले रहा था तभी मैने सफाई वाले को सड़क पर झाडू लगाते हुए देखा तो सोचा कि यह तो शिक्षक से महान कार्य कर रहा है लेकिन तभी मेरा अवचेतन मस्तिष्क चेतनावस्था में आया  और कहा नहीं दोनों अलग -अलग स्तर पर कार्य कर रहे हैं । समानता केवल इतनी ही है कि दोनों सफाई का काम कर रहे है, एक सड़क की तो दूसरा अज्ञान की ।
                      ज्ञान देना सरल होता है पर उसे स्वयं आत्मसात करना कठिन होता है । ज्ञान की परिपाटी पर महात्मा गांधी ने एक नई स्मृति निर्मित की । एक बार महात्मा गांधी ओडिशा के किसी गांव में गये तो उन्होंने देखा कि चहुँओर गंदगी व्याप्त है, तो उन्होने अपने साथियों से पूछा तो जबाब मिला कि गांव वाले ही गंदगी रखते हैं । इस कथन को सुनकर गाँधीजी आगे बढ़ गये और कुछ नहीं कहा । दूसरे दिन अलसुबह गांधी जी ने गंदगी अपने हाथों से साफ कर दी ।
         मित्र का अर्थ होता है कि आवश्यकता पड़ने पर अपने साथी की सहायता करना । मित्र उस दीपक के समान होता है जो स्वयं जलकर आसपास के वातावरण को प्रकाशित करता है ।  लेकिन मुझे मित्र की दूसरी ही परिभाषा देखने को मिली, यदि मैं मित्र बनने लायक नहीं हूँ परंतु आप तो मित्र के गुणों से परिपूर्ण हैं ।
                                             मैं यहाँ अपनी बात कर रहा हूँ और अपने कालेज के दोस्त कि, और उस दोस्त की जिसने मुझ से जैकेट माँगा था क्योंकि उसकी तबियत अच्छी नहीं थी और ठंड लग रही है परंतु मैने उसे जैकेट देने से मना कर दिया तब तो उसने सहजता से स्वीकार्य कर लिया । उस दिन हुये उस वाकये पर मुझे अफसोस है, पर आज उसने कहा कि मेरी मूर्खता थी कि मैने तुमसे जैकेट माँगी । इसका कारण जो भी हो शायद एक कारण यह भी हो सकता है कि पहले एक घटना हुई थी जिसमें उसके परम मित्र के साथ मेरी बहस का भुगतान मुझे भुगतना पड़ रहा हो ।
         क्या वस्तु ही सब कुछ है मित्रता मात्र नाम है । मैं नहीं जानता कि वे कितने समझदार और होशियार है और कितना मैं , परंतु शिवम् पोरवाल जी मुझसे और मेरे मित्र से ज्यादा श्रेष्ठ व्यवहार कुशल और संचार कुशल है । मुझे यह तो नहीं मालूम कि वे मुझे दोस्त मानते है या नहीं पर मैं उन्हें टक्कर वाला दोस्त मानता हूं । कई लोग दूसरों की बातों पर ज्यादा ध्यान देते हैं सुधर जाये तो ठीक रहेगा ।
                                जीवन ही सत् है और सत् ही जीवन । जितना जल्दी सभी इसे सीख ले सभी के लिए लाभदायक होगा साथ में मैं  भी

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