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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

मैहर - जहां विराजे ज्ञान की देवी


सोने के लोटा गंगाजल पानी, माई दोई बिरिया।
अतर चढ़े दोई-दोई शीशियां, माई दोई बिरिया।
करें भगत हो आरती माई दोई बिरिया।।

मां के सम्मान में छोटी-सी भगत। भगतें बघेलखंड और बुंदेलखंड में मां के सम्मान गाए जाने वाले भजन है जो मुख्यतः बघेलखंड में गाया जाता है। उपरोक्त भगत मां शारदा के सम्मान में गाया गया है। मां शारदा को ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है।

नमस्ते शारदे देवी काश्मीरपुरवीसिनि ।
त्यामहं प्रार्थये नित्यमं विधाबुद्धि च देहि मे।।

उपरोक्त श्लोक मां सरस्वती को समर्पित है जिसमें मां सरस्वती को शारदा के रूप में संबोधित किया गया है। जिसमें विद्या और बुद्धि का वरदान मांगने की बात कही गई है।

भारत में वैसे तो मां शारदा के अनेकों मंदिर होगें परंतु मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर में स्थित मां शारदा देवी का मंदिर अद्भुत, अनोखा और मन को शांति प्रदान करने वाला है। विन्ध्याचल पर्वत की गोद में बसा यह मंदिर प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। विन्ध्याचल पर्वत की 600 फुट ऊंची त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर सारे मनोरम को सिद्ध करने वाला है। यह एक शक्तिपीठ है।

इस मंदिर और मां शारदा देवी की यहां पर प्राण प्रतिष्ठा के पीछे  एक पौराणिक कहानी है। जब मां सती के विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से 51 टुकड़े कर दिया तो जहां-जहां मां सती के शरीर के भाग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ का निर्माण किया गया। मैहर शहर का नाम मां सती के हार गिरने से हुई। मै का तात्पर्य माई और हर का तात्पर्य हार से है, जिसका संपूर्ण तात्पर्य हुआ माई के गले का हार अर्थात् मैहर।

मंदिर में स्थित मूर्ति की विधिवत प्राणप्रतिष्ठा संवत् 599 में की गई थी। अक्जेण्डर कनिघंम ने इस मंदिर पर गहरा शोध कर यह भी बताया कि यहां पशु बलि नियमित रूप से दी जाती थी, जिसे बाद में बंद करवा दिया गया। इस मंदिर में आदिगुरू शंकराचार्य के द्वारा पूजा करने का भी उल्लेख मिलता है।

मां की ड्योढ़ी पर तो सभी शीश झुकाते है परंतु नियमित रूप से प्रथम अधिकार आल्हा का है। वास्तविक रूप से मंदिर स्थापित करने का श्रेय आल्हा और ऊदल को दिया जाता है जो दोनों भाई थे। दोनों ने मां की इस प्रतिमा को खोजा तथा आल्हा ने बारह वर्ष तक मां की तपस्या की। मां ने प्रसन्न होकर आल्हा को अमरत्व का वरदान दिया। आज भी आल्हा द्वारा समर्पित गुड़हल के फूल मंदिर के प्रथम बार कपाट खुलने पर दिखाई देते हैं।

मां का दरबार सालभर भक्तों की भीड़ से लबालब रहता है परंतु नवरात्रि के पावन अवसर पर यहां की अनोखी छटा देखने  लायक होती है।

📃BY_ vinaykushwaha


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