19 नवंबर की काली रात कितनी भयावह होगी उसके बारे में सोचना पर भी रुह को कंपा देता है । इंदौर - राजेन्द्रनगर एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से लगभग 150 लोग काल के गाल में समा गये और न जाने कितने ही लोग घायल हो गये । जिनके अपने उन्हें छोड़कर गये हैं उन्हें कितना असहनीय कष्ट हो रहा होगा इसकी कल्पना भी दूभर है ।
जब बच्चा अपनी माँ से कुछ समय के लिए अलग होता है तो रोते हुए उसकी नजरे अपनी माँ को तलाशती है कि मेरी माँ कहा है और जब तक उसे तलाश नहीं लेती तब तक उसे चैन नहीं मिलता । आज शाम मैं और मेरा दोस्त चाय पी रहे थे, तभी एक छोटी सी लड़की भीख मांगते हुए हमारे पास आई और पैसे मांगने लगी तो मेरे दोस्त ने कहा कि मेरे पास खुल्ले पैसे नहीं है, आगे जाओ । तब उस छोटी सी लड़की ने सविनय प्रार्थना करते हुए पैर पड़ने लगी तो मेरे दोस्त ने कहा मेरे पैर मत पड़ । फिर मैने 1 रुपये देकर उसको विदा किया लेकिन जाते - जाते वह सवाल छोड़ गई । क्या वो अनाथ है? या फिर वह माँ या परिवार से अत्यल्प समय के लिए दूर होकर भीख मांग रही है ।
जीवन में अकेलापन बहुत ज्यादा भयानक होता है । सबसे अधिक अकेलेपन का सामना बुजुर्गो को ही करना पड़ता है । वे अपनी संतान से दूर किसी मकान के एक कमरे में बैठे रहते हैं जहाँ उनकी एक आँख आशा के मोती और दूसरी आँख निराशा के जल से लबालब होती है। सच में ऐसा जीवन अभिशप्त होता है ।
जीवन एक गति है जिसमें बहुत से लोग आते हैं और बहुत से आकर जाते हैं । इनमें कुछ लोग अपरिचित बन जाते हैं और कुछ मित्र । हमारे जीवन में मित्र का विशेष स्थान है जिसके साथ मिलकर हम हँसी ठिठोली, सुख-दुःख का विनिमय और विछोह भी होता है । विछोह सबसे ज्यादा दुःखद पल होता है । मुझे आज समझ आ रहा है कि मित्रों से बिछुड़ना क्या होता है । मेरा परम मित्र का भी मुझसे बिछोह हो रहा है परंतु मेरा मन आज रुदन का कर रहा है जो भी हो पर यह नियति है इसे मुझे स्वीकार करना होगा क्योंकि हम उस नक्षत्र के समान नहीं है जो अपना स्थान नही बदलता ।
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गुरुवार, 13 अगस्त 2020
चलते - चलते (श्रृंखला 3)
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