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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

संकल्प से सिद्धि


यदि दुनिया 9/11 की शिक्षाओं को ग्रहण करता और उसे त्यागता ना तो 9/11 जैसा भीषण कांड न होता। मैं बात कर रहा हूं उस वक्तव्य कि जो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो की धर्मसंसद में दिए भाषण के 125 वीं वर्षगांठ पर दिया। एक नरेन्द्र वो थे जिन्होंने शिकागो में भारत की संस्कृति का डंका बजाया और एक नरेन्द्र आज है जिन्होंने भारत की गरिमामय उपस्थिति समूचे विश्व के समक्ष रखी। जहां स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्मसंसद 1893 में सभी को भाइयों और बहनों कहकर संबोधित किया वही आज प्रधानमंत्री लगभग अपने सभी भाषण में भाइयों और बहनों का संबोधन करते है।

9 सितंबर 2017 को स्वामी विवेकानंद के द्वारा शिकागो में दिए भाषण  के 125 वर्ष पूर्ण हो चुके है जिसे वर्तमान सरकार 'संकल्प से सिद्धि दिवस' के रूप में मना रही है। प्रधानमंत्री ने भाषण के बारे में कहा कि ' क्या कभी किसी व्यक्ति द्वारा दिए भाषण की 125 वीं सालगिरह मनाई जाती है वो केवल स्वामी विवेकानंद है।' आगे उन्होंने कहा कि स्वामी जी भारत से बाहर जब रहते थे तब भारत की संस्कृति और महानता की तारीफ करते हुए नहीं थकते थे और जब भारत में होते थे तो वे भारत में व्याप्त कुरीतियों पर कुठाराघात करते थे। वे उस समय इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करते थे जिसका उपयोग आज भी करना मुश्किल होगा।

'जनसेवा ही प्रभुसेवा', प्रधानमंत्री आगे कहते है कि स्वामी विवेकानंद जनसेवा को ही प्रभुसेवा मानते थे क्योंकि जब तक मानव दु:खी है तो प्रभु को पाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने आगे बताया कि स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की शुरुआत इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए की थी। जहां सभी लोग कुछ पाने की तलाश में रहते थे वही स्वामी विवेकानंद सत्य की तलाश में थे।

भारत की दो घटनाओं ने विश्व में भारत को अपना स्थान बनाने में कामयाबी पाई। पहली घटना जब 9/11 हुआ और दूसरी जब रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मिला। स्वामी जी ने idea को idealism  में बदला और institutional framework तैयार किया गया।

लोग कहते है कि इक्कीसवीं सदी एशिया की होगी। स्वामी विवेकानंद ने आज से लगभग 125 वर्ष पहले ही कह दिया था कि आने वाली सदी एशिया की होगी और one Asia concept भी दिया था जो दुनिया को दिशा प्रदान करेगीं।

भाषण में आगे बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जो मेक इन इंडिया का कार्यक्रम चल रहा है इसे स्वामी जी ने आज से कई साल पहले जमशेद जी टाटा से किए गए पत्र व्यवहार के द्वारा जाना जा सकता है जिसमें स्वामी जी ने जमशेद जी टाटा को उधोग लगाने की बात कही थी।

स्वामी विवेकानंद प्रखर बुद्धि के धनी थे। वे भविष्य की संभावनाओं को पहले से ही जानते थे वे गजब के दूरदृष्टा थे।

📃BY _vinaykushwaha


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