समाज की सबसे छोटी इकाई व्यक्ति होता है। एक व्यक्ति जब परिवार बसा लेेता है, तब परिवार बनता है। परिवार मिलकर समाज का निर्माण करते हैं। विभिन्न तरह के समाज मिलकर देश का निर्माण करते हैं। यह समाज में विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलकर बनता है जिसमें भाषा, वेशभूषा, संस्कृति, खान-पान आदि अलग हो सकता है। विश्व के इतिहास में सब कुछ बदल गया है परंतु एक ऐसी प्रक्रिया है जो आज भी कायम है वह है 'विनिमय' (EXCHANGE)। विनिमय सेवा, वस्तु, ज्ञान आदि का हो सकता है।
प्रकृति से लेकर भौतिक जगत तक सभी जगह विनिमय के उदाहरण बिखरे पड़े हैं। नदी बहती है और जाकर सागर में मिल जाती है। सूरज की तपिश के कारण पानी वाष्पीकृत होकर बादलों का रूप लेता है और फिर से धरती पर बरसकर नदियों में मिल जाता है। यह मात्र प्रकृति का एक छोटा-सा उदाहरण है।
आज से लगभग 5000 साल पहले मिस्त्र(Egypt) की सभ्यता, मेसोपोटामिया, सुमेर और सिंधु घाटी सभ्यता के बीच विनिमय बड़ी मात्रा में उदाहरण के रूप में देखने को मिलता है। व्यापारिक गतिविधियों का बड़ी मात्रा में प्रमाण मिलता है जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता से कपास का निर्यात किया जाता था बदले में मिस्त्र से कीमती धातुओं का आयात किया जाता था। धीरे-धीरे सभ्यता में वस्तु विनिमय का प्रचलन बढ़ता गया और अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया। कई सभ्यताएं मिट गई परंतु विनिमय कभी खत्म नहीं हुआ और नाही होगा।
सिकंदर जैसे महान राजा ने विश्व विजेता बनने का सपना देखा था परंतु भारत को नहीं जीत पाया और विश्व विजेता बनने का सपना उसके साथ ही दफ़न हो गया। सिकंदर ने कई बड़ी सभ्यताओं को रौंद डाला। कई राज्यों को युद्ध के द्वारा अपने राज्य में मिला लिया। कई राज्यों ने अपनी अधीनता स्वीकार कर ली। सिकंदर उनका संरक्षक बनने को तैयार हो गया ताकि दूसरा देश उन पर हमला करें तो सिकंदर की सेना उस राज्य की मदद करें जिसे संरक्षित किया गया है।
भारत में वैदिक सभ्यता में 'गाय ही युद्ध था और समाधान भी गाय ही थी।' आर्य गाय के लिए जब युद्ध करते थे तो उसे 'गविष्ठ' कहते थे। आर्य कबीलाई थे वे दूसरे कबीले पर हमला करके अधिकार क्षेत्र को बढ़ाते थे। हमले को रोकने के लिए गाय का दान किया जाता था।
भारत में कई राजवंशों ने अपने राज्यों को हमलावरों और साम्राज्यवादियों को रोकने के लिए विवाह की परम्परा अपनाई। मुगलों के समय यह बहुतायत में देखने को मिलता है कि राजस्थान में बहुत से राजाओं द्वारा वैवाहिक संबंध स्थापित किया गया। इस विनिमय (EXCHANGE) का सबसे बड़ा उदाहरण जोधा-अकबर है। इसके बाद मुगलों के घर में कई हिंदु स्त्रियों का गृहप्रवेश हुआ।
पुरातन समाज में जीवन यापन करने के लिए वस्तु विनिमय (commodity exchange) एक जरुरी प्रक्रिया थी जिसमें अनाज के बदलेे फल, सब्जी, कपड़े आदि को खरीदा जाता था। वस्तु से सेवा का विनिमय भी होता था। जैसे अनाज के बदले नाऊ से हजामत बनवाना आदि है। ब्राह्मण से कथा, पूजा, यज्ञ के बदले दक्षिणा के द्वारा विनिमय करना।
कई जगह सेवा या वस्तु का विनिमय नहीं चलता वहां उच्च गुणवत्ता के भाव होना आवश्यक है। प्रेम एक ऐसा व्यवहार है जिसमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और श्रृंगार रस का भाव होना चाहिए। राधा-कृष्ण का प्रेम इसी प्रकार के प्रेम को परिलक्षित करता है। कई बार विनिमय में समानता नहीं होती हैं जैसे महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, पैगम्बर मोहम्मद साहब, जीसस क्राइस्ट आदि कष्ट सहकर और समाज के सारे दु:खों को ग्रहण करके समाज को प्रगति का रास्ता दिखलाया।
जब मुद्रा का चलन हो गया तो मुद्रा विनिमय (currency exchange) या मुद्रा के बदले सेवा या वस्तु का प्रचलन हो गया। आज का समय मुद्रा विनिमय (currency exchange) और मुद्रा के बदले वस्तु का विनिमय(exchange) बहुत ज्यादा चलन में है। राजाओं के समय से कर प्रणाली(tax system) चली आ रहा है जिसे आज के समय में ज्यादा प्रोत्साहन दिया जा रहा ताकि देश का विकास सुचारु रूप से हो सके। मध्यकाल में राजाओं के द्वारा भारी कर(tax) लगाया जाता था और सेवा नगण्य थी। छत्रपति शिवाजी भी चौथ और सरदेशमुखी नामक विनिमय अपने शत्रु राज्य से करते थे।
विनिमय आज के युग की जरुरत बन चुकी है। विनिमय से ही बहुत से कार्य सफल हो पाते हैं। कई जगह विनिमय की भावना नहीं होनी चाहिए नहीं तो जीवन विनाश की कगार पर पहुंच जाएगा।
प्रकृति और मानवों के बीच तो विनिमय अतिआवश्यक है।
📃BY_ vinaykushwaha
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