ऋष्यश्रृंग:जिसने कभी किसी स्त्री को नहीं देखा, भागीरथी: जिसे दो औरतों ने मिलकर जन्म दिया, मान्धाता: जिसे पुरुष ने जन्म दिया, चुडाला: अपने पति को ज्ञान देने के लिए पुरुष बन गई, शिखण्डी: जो न तो नर था ना ही मादा और बहुचर: जो अपनी पत्नी को खुश नहीं कर सका जैसी प्राचीन भारतीय इतिहास की कहानियों को संजोए एक किताब 'शिखंडी और कुछ अनसुनी कहानियां'। यह किताब भारत के महान पौराणिक कहानी लेखक देवदत्त पट्टनायक ने लिखी है जिसका प्रकाशन राजपाल एण्ड सन्स ने किया है।
भारतीय इतिहास की कई ऐसी कहानियां जो कि आम नागरिकों के बीच प्रचलित नहीं है। ऐसी कहानियों को संजोकर एक पुस्तक के माध्यम से प्रकाशित किया गया है। लेखक ने विभिन्न स्त्रोतों से कहानियों को लिया है जिसमें महाभारत, रामायण, उडिया रामायण, तमिल लोककथा, पुराण आदि। इसमें सम्मिलित कहानियां सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुई है। इसमें 30 कहानियों को सम्मिलित किया गया है। भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य के महान पात्रों को कहानी के माध्यम से बताने का प्रयास किया है जिनकी गूढ़ बातों से लोग अवगत नहीं है। इसमें जिस भी पात्र के बारे में कहानी बताई गई है और साथ-साथ में कारण और संदर्भ भी दिया गया है।
आज के दौर में जिन विषयों पर चर्चा करना भी पाप माना जाता है और उनकी कल्पना या उपस्थिति को अपराध समझा जाता है ऐसे सभी क्रियाकलाप अतीत में उपस्थित थे। किन्नर, समलैंगिकता, असामान्य यौन प्रवृत्ति, असामयिक यौन प्रवृत्ति आदि की बातों को सहजता के साथ प्रस्तुत किया गया है। राम जिन्होंने हिजड़ों को भी अपने राज्य में शामिल किया, विष्णु जिन्होंने असुरों को सबक सिखाने के लिए मोहनी का रूप लिया, काली जिन्होंने गोपियों के साथ नृत्य करने के लिए कृष्ण रूप धारण किया जैसी चमत्कारिक कहानियों का एक विशाल सागर है।
पुस्तक में कहानी की शुरुआत शिखण्डी नामक अतिपरिचित पात्र के साथ शुरू होती है। महाभारत का यह पात्र न तो स्त्री था न पुरुष। पुस्तक खुली मानसिकता के साथ वीर्य, कामुकता, यौन आचरण के विषय में चर्चा होती है परंतु किसी भी प्रकार की अश्लीलता का प्रदर्शन नहीं होता है। जीवन में अनेकों उतार-चढ़ाव आते है और उनके साथ कैसे निबाह करना है यह इसमें अच्छी तरह बताया गया है। यह पुस्तक शानदार और रोचक कहानियों से भरी हुई है जिसका रसास्वादन जरूर लेना चाहिए।