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रविवार, 4 मार्च 2018

जॉर्डन और भारत


एक ऐसा देश जो जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर अपना निष्पक्ष रुख रखता हो, भारत की संयुक्त राष्ट्र परिषद के सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्यता का सदैव समर्थन करता हो, ऐसा देश जो इस्लामिक देश होने के बाद भी मॉर्डन लाइफ जीता हो .... तो ऐसा देश भारत का समकक्ष कैसे नहीं हो सकता। मैं बात कर रहा हूं जॉर्डन की। जॉर्डन मध्य पूर्व में बसा एक छोटा-सा देश है, जिसका क्षेत्रफल मात्र  लगभग 90 हजार वर्ग किमी और आबादी 98 लाख है। जॉर्डन एक इस्लामिक देश है जिसकी गिनती मिडिल ईस्ट में स्थित सबसे समझदार और उदार देशों में की जाती है। यह देश सीरिया, इराक और इजरायल से घिरा हुआ है।

जॉर्डन का नाम जॉर्डन नदी पर पड़ा है। जॉर्डन को दुनिया के सबसे सूखाग्रस्त देशों(driest Country) में गिना जाता है। यह दुनिया का आठवां सबसे बड़ा जैतून(olive) उत्पादक देश है। यहां की मॉर्डन लाइफ एक तरफ तो पश्चिमी देशों की याद दिलाती है क्योंकि यहां जो आजादी लोगों के पास है वो और किसी मुस्लिम देश में नहीं है। मध्य पूर्व का एक ऐसा देश जिसकी अर्थव्यवस्था कच्चे तेल और गैस पर नहीं टिकी हैै बल्कि सेवा(service sector) पर आधारित है।

जॉर्डन, विश्व को अपनी ओर खींचने में सफल रहा है क्योंकि यहां कि जिंदादिली पर्यटकों को पसंद आती है। जॉर्डन स्थित पेट्रा(petra) को कौन नहीं जानता। यह दुनिया के सात अजूबे में से एक है। इसकी गिनती यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में होती है। यह लगभग दो हजार साल पुरानी कलाकृति है। यह जॉर्डन की विरासत है। जॉर्डन पर ओटोमन साम्राज्य, क्रुसेडर, ग्रीक, रोमन और मुस्लिम शासकों ने राज किया जिसकी झलक साफ-साफ देखी जा सकती है। यह बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि पहले जॉर्डन इसाई धर्म का पालन करता था लेकिन आज यहां 90 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम है।

भारत और जॉर्डन पुराने दोस्त रहे हैं। मध्य पूर्व में जो देश उदारवादी विचारों का परिचायक है साथ ही भारत के विचारों से सहमत है वह जॉर्डन है। लोग कहते है कि भारत एक ऐसे देश की ओर हाथ क्यों बढ़ा रहा है जिसके पास न तो कच्चा तेल है और न ही गैस। भले जॉर्डन के पास दोनों प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो या रिक्तता हो फिर भी उसकी भौगोलिकता मायने रखती है। जॉर्डन ही मिडिल ईस्ट में एक ऐसा देश है जो सीरिया और इराक से आ रहे शरणार्थियों को शरण दे रहा है। भारत, जॉर्डन के केवल उदार मुस्लिम होने पर कायल नहीं है बल्कि जॉर्डन उन दो देशों में से एक जिसने इजरायल के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया है।

जॉर्डन एक शांतिप्रिय देश है। छह दिन के युद्ध के बाद आज तक जॉर्डन से किसी का युद्ध नहीं हुआ है। जॉर्डन, भारत का एशिया में महत्व समझता है। भारत एक बड़ा देश है जो उसकी जरुरत को पूरा कर सकता है। जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल हुसैन जब नई दिल्ली आए तो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनका स्वागत गर्मजोशी के साथ किया। अब्दुल्ला यहां केवल द्विपक्षीय वार्ता के लिए ही नहीं आए बल्कि इस्लामिक हेरिटेज जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भाषण देने के लिए बुलाया गया। अब्दुल्ला भारत में आए तो उन्होंने भारत सरकार के साथ 12 विषयों पर एमओयू साइन किया। इन एमओयू में स्वास्थ्य, दवाइयां, वीसा, ह्यूमन रिसोर्स, मीडिया जैसे विषय शामिल है।

पाकिस्तान और जॉर्डन की घनिष्ठ मित्रता रही है या यूं कहे कि मिडिल ईस्ट में पाकिस्तान के दो परम मित्र देश थे सउदी अरब और जॉर्डन। आज यह दोनों देश भारत के सगे हो गए। यह सबक है उन देशों के लिए जिनके घर में कलह मची हो और वे दूसरे देशों से संबंध अच्छे करने निकले हैं। पाकिस्तान की अंदरुनी हालत कौन नहीं जानता है? बहरहाल जॉर्डन एक प्राकृतिक संसाधनों के मामले में शून्य है और उसे ऐसे क्षेत्र में निवेश करना है जो उसे बढ़ावा दे सके। जॉर्डन भारत के साथ टेक्नोलॉजी, सर्विस, मीडिया आदि के साथ आगे बढ़ने को तैयार है। एक और क्षेत्र में जॉर्डन और भारत साथ आ रहे हैं वो है पर्यटन। जॉर्डन ने भारत के आगरा और जॉर्डन के पेट्रा के बीच समझौता किया गया है।

जॉर्डन ही वही देश है जिसने मोदी को अपने आर्मी हेलिकॉप्टर से फिलीस्तीन भेजा था। आम्मान और नई दिल्ली के रिश्तें सदा परवान चढ़े मेरी तो यही कामना है। खैर यदि आपको किसी सागर में बिना डूबे तैरना है तो आप जॉर्डन जाकर डेड सी की लहरों की सवारी कर सकते हैं।

                           ।।जय हिंद।।

📃BY_vinaykushwaha


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