होली का त्यौहार कई युगों से मनाया जा रहा है। होली को कहते है कि बुराईयों को भुलाकर दुशमनों को गले लगाने वाला त्यौहार है। लाल,पीला, नीला, हरा रंगों में सराबोर होकर झूमने का पर्व है। अबीर, गुलाल, रंगों से सजे इस त्यौहार को सतरंगी त्यौहार कहा जाए तो सही होगा। केवल रंग ही नहीं मीठा-मिठास को फैलाने वाला है। रसगुल्ला, गुलाबजामुन, कुसली, खुरमी, गुझिया आदि इस मिठास को और ज्यादा बढ़ा देती है। सबसे जरूरी बात होली में भांग का रंग न पड़े तो फिर होली का का रंग निखर कर सामने नहीं आता है। गांव से लेकर शहर तक होली के नए-नए रंग देखने को मिलते हैं। कीचड़ होली हो या गुलाल होली, लट्ठमार होली हो या फूलों की होली हो, रंगों की होली हो या टमाटर की होली, देशी फाग पर होने वाली होली हो या डीजे की तेज धुन पर होने वाली होली सभी होली के कई रंग दिखाते हैं।
भारत में होली एक ऐसा त्यौहार है जो एक बड़ा माइग्रेशन होता है। देश के कोने-कोने से लोग अपने घर की ओर चलते है। बस, ट्रेन, फ्लाइट सभी यात्रियों से भरी होती है। 28 फरवरी 2018 का दिन मुझे हमेशा याद रहेगा जब मुझे घर जाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। हबीबगंज से अपने शहर कटनी जाने के लिए स्पेशल ट्रेन को चुना जिसने एक नए अनुभव को दिया। भीड़ का सैलाब और ट्रेन की दस घंटे की देरी ने मजे के साथ सजा भी दे दिया। हम इस भीड़ को केवल भीड़ के तरह ही न ले यह तो भारतीय है या यूं कहे कि सच्चे देशी भारतीय हैं। तरह-तरह की भाषा, खान-पान, शोर-शराबा सब कुछ एक नया अनुभव। हबीबगंज पर आती-जाती हर ट्रेन भीड़ नहीं भारतीय है। स्लीपर हो या जनरल, एसी हो या सेकेंड सीटिंग हर तरफ हूजूम दिखाई देता है।
ट्रेनों को भारत की आत्मा कहा जाए तो इसमें कोई गलती नहीं होगी। परिवार को मिलाने की बात कहे या संस्कृति को मिलाने की बात हो, दूरियां मिटाने की बात हो या मेल मिलाप कराने वाली एक लिंक है यह ट्रेन। ट्रेन एक राज्य से चलकर दूसरे राज्य तक केवल यात्रियों को अपने डेस्टिनेशन तक नहीं पहुंचाती बल्कि अपने साथ संस्कृति, भाषा, बोली, रंग-ढ़ंग, वेशभूषा, रहन-सहन, खान-पान लेकर जाती है। भारतीय रेल्वे को एक ही तरीके से नहीं देखा जा सकता है। यह तो देश की पावन भूमि का दर्शन करवाती है। कही पहाड़ तो कही पठार, कही नदी तो कही समुद्र, कही जंगल तो कही खाई, कही निर्जन तो कही सजन जगहों को दिखाती यह ट्रेन भारत के असली दर्शन करवाती है।
भारतीय ट्रेन एक वर्ग विशेष के लिए नहीं है यह तो भारत के समस्त नागरिकों को समाहित करती है। अमीर हो या गरीब, विद्यार्थी हो या प्रोफेशनल्स, बेरोजगार हो या रोजगार, किसान हो या जवान सभी को अपना आश्रय देती है भारतीय ट्रेन। कोई पहली बार सफर करने वाला भी होता है तो कोई बार-बार सफर करने वाला होता है। कोई एसी क्लास से सफर करने वाला होता है तो कोई स्लीपर में सफर करने वाला होता है। कोई कॉउंटर से टिकिट लेकर सफर करने वाला होता है तो कोई ऑनलाइन टिकिट पर सफर करने वाला होता है। ट्रेन किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है। अपने निजी जिंदगी में कोई कितना ही अमीर हो या गरीब सभी को एक समान सुविधा देती है।
भारतीय रेल का स्वरुप बदला है। भाप से डीजल, डीजल से इलेक्ट्रिक, और आज हाइड्रोजन इंजन का कॉन्सेप्ट भारतीय रेल लेकर आई है। पहले जहां रेल का उद्देश्य केवल यात्रियों को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाना था जो आज बदलकर सुख-सुविधा आदि का जरिया भी बन गया है। देरी का पर्याय रहने वाली ट्रेन आज समय की पाबंद हो गई है। जहां पहले साधारण सी ट्रेन होती थी आज ट्राम, मोनोरेल, मेट्रोरेल, बुलेटट्रेन, अब तो और आगे भारत में हाइपरलूप ट्रेन आ रही है। ट्रेन और भारतीय का मिलन कभी भी अधूरा नहीं हो सकता है। भारत और भारतीयता को जोड़ने वाला कोई और नहीं है वो भारतीय रेल ही है।
।।जय हिंद।।
📃BY_ vinaykushwaha