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गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

एकात्म मानवतावाद और भारत


एकात्म मानवतावाद की परिभाषा से आज सभी कोई वाकिफ होगें। भारत में इस सिद्धांत के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय जी है। दीनदयाल उपाध्याय जी ने इस सिद्धांत में जगतगुरु शंकराचार्य जी के अद्वैतवाद के सिंद्धात को जीवित रखते हुए केवल आत्मा और परमात्मा को नहीं दुनिया के समस्त मानव जाति को एक करने के बारे में कहा। संसार की सारी मानवजाति एक है। जहां जगतगुरु शंकराचार्य जी ने आत्मा और परमात्मा को एक होने की बात कही जिसमें आत्मा को मानव और परमात्मा को भगवान के रुप में प्रतिपादित किया है। वही दीनदयाल उपाध्याय जी ने विभिन्न धर्मों, जाति, वर्ग, वंश, क्षेत्र, कार्यशील व्यक्ति या मानवजाति एक है। भारत इस एकात्म मानवतावाद सिद्धांत का साक्षात् गवाह है।

भारत में विभिन्न संतों,ऋषियों,मनीषियों ने विभिन्न प्रकार के सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। द्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन माध्वाचार्य ने किया था। इस सिद्धांत में इस ब्रह्मांड में कोई भी एक पक्ष या वस्तु उपलब्ध नहीं इसका दूसरा भाग जरुर होगा। ईश्वर के विरुद्ध राक्षस, अच्छाई के विरुद्ध बुराई, भाव के विरुद्ध अभाव आदि जरुर होगा। द्वैतवाद का मूल अर्थ ही यही होगा कि कोई एक नहीं दो या तीन हो सकता है। द्वैतवाद के सिद्धांत में यह कहा जाता है कि यह सारी प्रक्रिया ईश्वर,प्रकृति और जीवात्मा से मिलकर बनती है।

शुद्धद्वैतावाद के सिद्धांत का प्रतिपादन वल्लभाचार्य ने किया था। यह सिद्धांत अद्वैतवाद की परिभाषा को और ज्यादा सुदृढ़ करने में मदद करता है। यह मानता है कि भगवान एक ही है और सभी चर-अचर उसी से है। विशिष्टाद्वैतवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन रामनुजाचार्य जी ने की थी। यह एक प्रकार से कहा जाए तो किसी विशिष्ट को महत्व प्रदान करना है। द्वैताद्वैतवाद सिद्धांत का प्रतिपादन निम्बार्काचार्य जी ने की थी। इस सिद्धांत के अंतर्गत द्वैत और अद्वैत दोनों स्वरुपों  को  स्वीकारा गया है।

आज एक व्यक्ति भारतीय संस्कृति के इन्हीं सिद्धांतों और एकात्म मानवतावाद के सिद्धांत को एक बेहतरीन ढ़ंग से पूरी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत कर रहा है। यह व्यक्ति कोई आम व्यक्ति नहीं बल्कि यह तो भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है। नरेन्द्र मोदी ने पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति और प्राचीन सिद्धांत एवं एकात्म मानवतावाद के सिद्धांत के माध्यम से नए-नए संबंध गढ़े हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के द्वारा शुरु की गई लुक ईस्ट एशिया पॉलिसी को और ज्यादा बेहतर बनाते हुए इसे एक्ट ईस्ट एशिया पॉलिसी नाम दिया। पूर्व एशिया के सारे देश से संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए मोदी भरसक प्रयास कर रहे है। सार्क(SAARC: south asia association for regional cooperation) देशों को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाकर साफ कर दिया कि वे अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध रखना चाहते है।

2014 में सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने विदेश नीति को बहुत ज्यादा महत्व दिया है। मोदी जब भी विदेशी दौरे पर होते है तो प्रवासी भारतीय की सभा को संबोधित करते है साथ उस देश के रंग में ढ़लने की कोशिश करते है और भारत की गहरी छाप छोड़कर आते है। चाहे ब्रिक्स सम्मेलन हो या बिम्सटेक , आसियान हो या जी20 सभी विश्व स्तरीय सम्मेलन में भारत की जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। संयुक्त राष्ट्र परिषद से लेकर किसी भी विश्व मंच से हिन्दी में भाषण देना हो। यह सब दिखाता है कि कैसे नरेन्द्र मोदी देशों और वहां के नागरिकों को भारत की ओर आकर्षित करते है। एकात्म मानवतावाद बाद का इससे बड़ा उदाहरण कही और कहां देखने को मिलेगा।


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