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शुक्रवार, 29 मई 2020

चलते-चलते (सीरीज -16)

बचपन बड़ा ही मासूम होता है। कुछ सोचकर भी समझने की कोशिश अलग ही अंदाज में करता है। जब मैंने पहली महामारी का नाम सुना था तब शायद मेरी उम्र 9-10 साल रही होगी। उस समय तो केवल इतना ही पता था महामारी कोई बीमारी है। लेकिन ये क्या बला है? इसका अंदाजा उस उम्र में नहीं था। उस समय तो एक-दो बार मैंने महामारी को महाबीमारी तक लिख दिया। अब तो उस बात को सोचता हूं तो हंसी आती है। वो प्यारा बचपन जिसमें कोई भी संकट आ जाए सब झेलने की भावना थी क्योंकि संकट का पता ही नहीं होता था कहते किसे हैं। 

जब धीरे-धीरे बड़े हुए तब मालूम हुआ कि महामारी किस बला का नाम है। महामारी यानी इंग्लिश में एपिडैमिक। जब बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी तेजी से फैलती है और एक बड़े हिस्से को प्रभावित करती है तो इसे महामारी कहते है। बचपन से लेकर दिसंबर 2019 तक मेरा सामना किसी बीमारी से नहीं हुआ। जब कोरोना वायरस जैसी महामारी का पता चला तो जीवन में बहुत से बदलाव आ गए। किताबों, टीवी और बड़े लोगों से केवल सुनते थे कि चेचक, हैजा जैसी महामारी का प्रकोप कभी भारत में हुआ था। 

आज की स्वास्थ्य व्यवस्था को देखकर लगता है कि उस समय स्थिति कितनी भयावह रही होगी। कोरोना वायरस ने आज वही स्थिति पैदा कर दी है जो आज से कई साल पहले थी। 
डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को महामारी नहीं बल्कि विश्वमारी घोषित किया है। इस विश्वमारी इंग्लिश में पेनडैमिक कहते हैं। इसने विश्व के सभी देशों को प्रभावित किया है। अमेरिका से लेकर जापान और रूस से लेकर ऑस्ट्रेलिया सभी देश आज इसकी चपेट में हैं। महामारी की विभीषिका कितनी भयानक होती है आज देखने को मिल रहा है। हमें अलेक्जेंडर फ्लेमिंग का शुक्रगुजार होना चाहिए कि एंटीबायोटिक की खोजकर उन्होंने मानवजाति को वरदान दिया है। 

चीन से पनपा ये वायरस आज भारत के गांव तक पहुंच गया है। जीवन में दहशत का एक नया अध्याय जोड़ दिया है इस कोरोना वायरस ने। आज मुझे जब मालूम हुआ कि मेरे सेक्टर में फिर से कोरोना वायरस की दस्तक हुई है तो शुरू में मन शांत था लेकिन मन की लहर तीव्र गति से अशांति की जाने लगी। कभी-कभी लगता है कि ये बीमारी कब खत्म होगी? होगी भी या नहीं। दुनिया के कई सारे देश वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। क्या होगा यदि वैक्सीन शत-प्रतिशत सही नहीं हुई तो? जीवन का अंत ऐसे में करीब नजर आने लगता है। आज डॉक्टर कोरोना से पीड़ित जिन मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे बल्कि अंधेरे में तीर चला रहे हैं। कोई एचआईवी एड्स की दवा, कोई मलेरिया की दवा तो कोई फ्लू में काम आने वाली दवा उपयोग कर रहा है। पता नहीं क्या होगा? 

कोरोना वायरस जिसे कोविड 19 के नाम से भी जाना जाता है इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि आजतक इसका सोर्स पता नहीं चल पाया है। वुहान वायरोलॉजिस्ट की वैज्ञानिक जिसे आज लोग बैट वूमेन के नाम से जानते हैं उसने कहा कि ये तो मात्र एक वायरस है जो चमगादड़ में पाया जाता है ऐसे कई वायरस है जो पूरी दुनिया को परेशान कर सकते हैं। कोविड 19 कोई पहला वायरस नहीं है जो जानवर से इंसानों में आया। इससे पहले सॉर्स, मर्स, इबोला जैसी बीमारियों की लंबी सूची है। 

लोगों ने कई सारे प्लान बनाए थे जो कोरोना की वजह से धराशायी हो गए। मैंने भी प्लान बनाए थे। घुमक्कड़ी का शौक रखने वाला मैं, घूमने के लिए कई सारे डेस्टिनेशन खोज लिए थे। गर्मी इस बार पहाड़ों पर बिताऊंगा ऐसा सोचा था लेकिन किस्मत इस बार कोरोना के साथ थी। साल 2020 सभी के लिए काला रहा है। त्योहार, पर्व, इवेंट, शादी, प्लान की बलि चढ़ गई। कई लोगों की नौकरी चली गई तो कई लोग काल के गाल में समा गए। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट इस बार निगेटिव रखी है। इससे भयानक और क्या हो सकता है। जब तक इस कोरोना से पीछा नहीं छूटता सब भयानक है भयावह है। 

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