लोकसभा चुनाव आखिरकार खत्म हुआ। सात चरणों में लोकसभा चुनाव का 23 मई को समापन हो गया। इस बार कई लोगों के लिए आंकड़े चौंकाने वाले रहे तो कई लोगों को सुकून देने वाले। इस बार एग्जिट पोल की भविष्यवाणी सच साबित हुई, यदि कुछ एग्जिट पोल को छोड़ दिया जाए तो। लगभग इस बार सभी एग्जिट पोल ने एनडीए को 350 के पार पहुंचाया था। एग्जिट पोल की डगर पर चलते हुए लोकसभा के नतीजे भी सच साबित हुए। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के तमाम नेता कहते थे कि पिछले बार मोदी लहर थी लेकिन इस बार मोदी की सुनामी है। अमित शाह स्वयं कहते थे कि बीजेपी 300 से अधिक सीटें लेकर आएगी और एनडीए 350 सीटें जीतेगी। बीजेपी ने 2014 को दोहराते हुए 2019 में एक बड़े आंकड़े तक पहुंच बनाई। इस बार के आम चुनाव के नतीजों में बीजेपी अपनी दम पर 303 सीटें लेकर आई है तो वहीं एनडीए का आंकड़ा 350 के पार पहुंच गया है।
2019 के आम चुनाव में मोदी इतनी सीटें लाने में कैसे सफल रहे? क्या मोदी के खिलाफ कोई एंटी इंकम्बेंसी नहीं थी? लोगों में मोदी के खिलाफ गुस्सा नहीं था? क्या मोदी से बड़ा नेता आज भारत में कोई नहीं है? विपक्ष इतना कमजोर है कि मोदी का मुकाबला कर पाने में सक्षम नहीं है? इस पूरे परिदृश्य में जो चीज उभरकर सामने आती है वो यह है कि इस बार पॉलिटिकल पंडितों की सारी भविष्यवाणियां फेल हो गईं है। मैं इस लेख में बीजेपी की जीत पर प्रकाश डालूंगा। तथ्यों को सामने लाने की कोशिश करूंगा।
सबसे पहले मैं बात करूंगा नरेंद्र मोदी की छवि की। मोदी की छवि के कारण कहीं ना कहीं बीजेपी को फायदा मिला है। 2014 के बाद मोदी और बड़ी छवि बनकर उभरे हैं। आज के समय में कहा जाए तो मोदी से बड़ा नेता देश में कोई दूसरा नहीं है। केंद्र में सरकार बनाने के बाद नरेंद्र मोदी ने कई ऐसे काम किए जिसने मोदी की छवि बदलने का काम किया। मोदी के इन कामों में सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, अभिनंदन की रिहाई, मसूद अजहर को ग्लोबल आंतकी घोषित करवाना, स्वच्छ भारत अभियान, 21 जून को योग दिवस घोषित करवाना जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन कामों ने मोदी की छवि को बड़े से और बड़ा कर दिया। नरेंद्र मोदी की बोलने की कला और भाषण के दौरान लोगों से जुड़ने की कला, मोदी को लोगों के नजदीक लेकर गई। मोदी देश के जिस भी हिस्से में जाते हैं वहां की भाषा के शब्दों को अपने भाषण में शामिल करते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने 5 साल के दौरान हर महीने के आखिरी रविवार को मन की बात करते हुए लोगों से उन्होंने जुड़ाव बनाए रखा। इसके अलावा शिक्षक दिवस के दिन छात्रों से बात करते थे।
नरेंद्र मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 146 रैलियां की। पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक पीएम ने रैलियां की। मेरठ से अपनी चुनावी सभा की शुरूआत करके एमपी के खरगोन में अपनी चुनावी अभियान को विराम दिया। कांग्रेस का 'चौकीदार चोर है' वाले बयान को लेकर पीएम ने अपनी हर रैली में कांग्रेस पर चौकीदार नाम का बम फोड़ा। ट्विटर पर अपने नाम के आगे चौकीदार लगाकर चौकीदार वर्ग का वोट समेट लिया। कांग्रेस के साथ-साथ महागठबंधन और टीएमसी को इस चुनाव में मोदी ने आड़े हाथों लिया। जहां महागठबंधन को महामिलावट कहा तो वहीं ममता बनर्जी को स्पीड ब्रेकर कहा। इन सब में सबसे बड़ी बात यह रही की इस बार बीजेपी कांग्रेस से भी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही थी। बीजेपी ने 2019 का आम चुनाव 435 सीटों पर लड़ा। बीजेपी ने भले ही 435 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन प्रत्याशी केवल एक ही था वो है 'मोदी'। बीजेपी ने पिछला आम चुनाव मोदी लहर के नाम पर लड़ा था लेकिन यह चुनाव बीजेपी ने मोदी के नाम पर लड़ा। बीजेपी नेता कहते भी थे कि पिछले चुनाव में मोदी लहर थी तो इस बार मोदी की सुनामी है।
विपक्ष हमेशा कहता था कि पीएम मोदी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते, इंटरव्यू नहीं देते, पीएम हमेशा वन-वे कम्यूनिकेशन करते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस चुनाव में इंटरव्यू के साथ-साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी से लेकर प्रिंट तक सभी को इंटरव्यू दिया। आखिरी चरण के चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने पॉलिटिकल इंटरव्यू के साथ-साथ नॉन-पॉलिटिकल इंटरव्यू भी दिया। इसके अलावा मोदी ने कई रोड शो भी किए जिसमें काशी में किया रोड शो भव्य था।
बीजेपी की इस शानदार जीत के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है मोदी-शाह की जोड़ी। पिछले आम चुनाव की तरह इस चुनाव में भी मोदी-शाह की जोड़ी ने कमाल कर दिखाया। पॉलिटिकल पंडित कहते थे कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए दूसरे दलों की जरुरत पड़ेगी। दोनों की जोड़ी ने इस बात को नकार दिया। अमित शाह को बीजेपी का चाणक्य कहा जाता है। अमित शाह ने शिवसेना को मनाने का काम किया, जेडीयू को फिर से एनडीए में लाने का श्रेय भी अमित शाह को जाता है। अमित शाह ने नरेंद्र मोदी से 17 रैलियां ज्यादा करके लोगों तक पहुंच बनाई। बूथ मैनेजमेंट और लोगों को बीजेपी से जोड़ने का काम अमित शाह ने किया। नरेंद्र मोदी की बिजनेस मैन, फिल्मी सितारों के साथ बैठक आदि भी अमित शाह के दिमाग की उपज है। बीजेपी ने राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन किया। तमिलनाडु को यदि छोड़ दिया तो बाकी राज्यों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया। अमित शाह की रणनीति के काऱण आज बंगाल में बीजेपी 18 सीटें लाने में सफल रही है। इस चुनाव में बीजेपी का फोकस यूपी और बिहार ना होकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा था। इन दोनों राज्यों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया। बीजेपी अध्यक्ष होने के नाते अमित शाह ने बीजेपी को सशक्त बनाया बल्कि एनडीए को भी और ज्यादा मजबूत किया। बीजेपी की इस धुंआधार जीत के पीछे प्रचार-प्रसार का अहम योगदान रहा। इसमें कोई शक नहीं है कि बीजेपी ने इस चुनाव में प्रचार में सबसे ज्यादा पैसे खर्च किए हैं। सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड जीरो तक बीजेपी ने खूब पैसे बहाए। इस चुनाव में बीजेपी का चुनाव प्रचार विवाद का विषय रहा। नमो टीवी को लेकर विपक्ष बहुत आक्रामक रहा। व्हाट्सएप ग्रुप से लेकर फेसबुक और व्यक्तिगत रूप से फोन करके लोगों को बीजेपी के पक्ष में लाने का प्रयास बीजेपी ने किया। बीजेपी के साथ अपार जनसमर्थन जुड़ने के पीछे एक कारण और भी है।
सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाना और उनका प्रचार-प्रसार करना। उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय का निर्माण करवाना। जिन परिवारों के पास ये सारी सुविधाएं नहीं थी यदि उऩको यह सब मिलता है तो व्यक्ति-व्यक्ति का लाभ पहुंचाने वालों को ही जाएगा।
कमजोर विपक्ष का होना भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ। 2014 के अपेक्षा बीजेपी 2019 में और बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 2014 में बीजेपी को अपने दम पर जहां 282 सीट मिली थीं तो वहीं 2019 में बढ़कर 303 हो गईं। विपक्ष और कमजोर हो गया। ऐसा कहना गलत वहीं होगा कि विपक्ष ने कोई प्रयास ही नहीं किया। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को 2014 के आम चुनाव में 44 सीटें मिली थीं तो 2019 में यह मामूली बढ़त के साथ 52 हो गईं। इन सबमें सबसे बड़ी बात यह है कि देश के सबसे बड़े सियासी सूबे में कांग्रेस सिमटकर एक पर आ गई। 17 राज्यों में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई। बिहार जैसे राज्य में एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीतने में कामयाब रही। पश्चिम बंगाल में बीजेपी दो से 18 सीटों वाली बनी तो वहीं ओडिशा में बीजेपी एक से आठ पर पहुंच गई। कई राज्यों में बीजेपी क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही जिनमें राजस्थान, गुजरात, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ जैसे राज्य शामिल हैं। 2019 का आम चुनाव कई दिग्गजों की हार वाला चुनाव रहा जिसमें दिग्विजय सिंह, शरद यादव, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुशील कुमार शिंदे, नबाम टुकी जैसे बड़े-बड़े नाम धराशायी हो गए।
विपक्ष ने मेहनत की या नहीं की इसका कोई मतलब नहीं क्योंकि बीजेपी ने बाजी मार ली है। नरेंद्र मोदी में एक बात बहुत खास है कि वे विपक्ष के मुद्दे को कैच कर लेते हैं। 2017 के गुजरात चुनाव में मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को नीच कहा था। इस बयान को पीएम मोदी ने इतना प्रचार किया कि कांग्रेस को इसका भुगतान भुगतना पड़ा। 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है नारा लगवाया तो नरेंद्र मोदी ने ट्विटर हैंडल पर अपना बदल कर चौकीदार नरेंद्र मोदी कर दिया। राहुल गांधी के द्वारा उठाए गए भष्ट्राचार के मुद्दे को पलटकर बोफोर्स तक ले गए। सैम पित्रोदा के सिख दंगों पर दिए हुआ तो हुआ वाले बयान पर पीएम ने आधी जंग ही जीत ली।
कहते हैं कि चुनाव में जातीय समीकरण मायने रखते हैं। पार्टियां अपने उम्मीदवारों को जातीय आधार पर उतारती है। इस चुनावी में सारे जातीय समीकरण लोधी-कुर्मी, एम-वाय, सवर्ण-दलित सभी समीकरण फेल हो गए। इस बार राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी रहा। राष्ट्रवाद के साथ-साथ आतंकवाद का मुद्दा हावी रहा। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक ने इसे और हवा दी।
जिस तरह सुनामी में सब कुछ तबाह हो जाता है ठीक उसी तरह मोदी नाम की सुनामी में 2019 में विपक्ष बह गया।
BY_vinaykushwaha