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शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

पाकिस्तान और इमरान खान

क्या इमरान पाकिस्तान के पीएम रहते हुए अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे?

इमरान खान ने 18 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद की शपथ लिया. शपथ लेने के साथ ही इमरान पाकिस्तान के अधिकारिक रूप से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन गए. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वे अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे. पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास गवाह है कि आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. अभी हालिया उदाहरण हमारे सामने  नवाज शरीफ के रूप में है. जिन्हें पनामा पेपर लीक मामले में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित कर दिया है. उम्मीदवारी अयोग्य घोषित होने के साथ ही उन्हें प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा और 14 साल की सजा हो गई.

नवाज शरीफ के साथ कोई यह पहली बार नहीं हुआ है. साल 1993 में नवाज शरीफ सरकार को तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम खान ने बर्खास्त कर दिया. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सरकार को बहाल कर दिया. मामला यही नहीं थमा बल्कि राष्ट्रपति गुलाम खान ने फिर से उन्हें पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 58-2b के तहत फिर से बर्खास्त करने का प्रयास किया गया. मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट गया और शरीफ ने मामले पर समझौता करते हुए इस्तीफा दे दिया. सरकार केवल 2 साल 7 महीने तक चली.

इसके बाद 1997 में नवाज शरीफ ने फिर से सरकार बनाई. इस बार भी काली परछाइयों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ उस समय सेना प्रमुख थे. साल 1999 में परवेज़ मुशर्रफ़ ने नवाज शरीफ की सरकार को हटाकर मार्शल लॉ लगा दिया. फिर से नवाज सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने में नाकाम रही. मुशर्रफ़ ने देश पर 1999 से लेकर 2001 तक तानाशाह के रूप में शासन किया.  साल 2001 में परवेज़ मुशर्रफ़ राष्ट्रपति बन गया. राष्ट्रपति के रूप में उसने देश में 2001 से 2008 तक शासन किया.

परवेज़ के राष्ट्रपति के रूप में रहते हुए चार प्रधानमंत्री हुए. जिनमें से किसी ने भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. कोई तीन साल तो कोई दो महीने के लिए प्रधानमंत्री बना. मुशर्रफ़ के राष्ट्रपति रहते हुए युसूफ़ रजा गिलानी ही एकमात्र प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा करने से करीब 10 महीने से चूक गए. उन्होंने 4 साल 2 महीने का कार्यकाल पूरा किया. युसूफ़ को न्यायालय की अवमानना के मामले में उनकी सीट को 2012 में अयोग्य घोषित कर दिया. शेष बचा हुआ कार्यकाल परेवज़ अशरफ़ ने पूरा किया.

पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार नहीं था कि किसी सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री को उसके पद से हटाने के बाद सत्ता की बागड़ोर अपने हाथ में ले ली हो. इससे पहले 1958 में फ़िरोज खान नून की सरकार को तत्कालीन राष्ट्रपति शकंदर मिर्जा ने बर्खास्त करते हुए मार्शल लॉ लागू कर दिया. इस काम में उनका साथ अयूब़ खान ने दिया जो तत्कालीन सेना प्रमुख थे. नून सरकार ने अपना हनीमून पीरियड भी पूरा नहीं कर पाई. अयूब़ खान ने अपने दोस्त यानी शकंदर मिर्जा को भी नहीं बख्श़ा, हिरासत में ले लिया. बाद में शकंदर को देश से निकाल दिया जिनकी बाद में ब्रिटेन में मृत्यु हो गई. अब पाकिस्तान पर अयूब़ खान का राज था. अयूब़ खान ने 1958 से 1969 तक राष्ट्रपति के रूप में राज किया.  

अयूब़ खान के बाद देश के राष्ट्रपति याह्या खान बने. याह्या खान 1969 लेकर 1971 तक देश के राष्ट्रपति रहे. पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में 1958 से लेकर 1971 तक कोई भी प्रधानमंत्री नहीं रहा. याह्या खान के राष्ट्रपति रहते हुए नुरुल अमीन मात्र 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने.

वर्ष 1971 में बंगलादेश युद्ध हुआ. जुल्फिकार अली भुट्टो 1971 से 1973 तक राष्ट्रपति रहे. इस दौरान कोई भी प्रधानमंत्री नहीं बना. साल 1973 में जब जुल्फिकार अली भुट्टो देश के प्रधानमंत्री बने. जुल्फिकार के प्रधानमंत्री रहते हुए 1977 में सेना प्रमुख जिआ-उल-हक को नियुक्त किया गया. जैसे ही जिआ-उल-हक सेना प्रमुख बने उसी वर्ष जुल्फिकार सरकार को हटाकर मार्शल लॉ लगा दिया. साल 1978 में जिआ-उल-हक खुद ही राष्ट्रपति बन गया. पाकिस्तान पर 1978 से लेकर 1988 तक राष्ट्रपति रहे. जिआ के काल में केवल एक बार चुनाव हुए. वर्ष 1985 में हुए इस चुनाव में मोहम्मद खान जूनेजो प्रधानमंत्री बने. इस चुनाव की सबसे बड़ी बात यह थी कि यह निष्पक्ष चुनाव नहीं था. यह पार्टी बेस्ड चुनाव न होकर स्वतंत्र चुनाव था. जूनेजो 1985 से लेकर 1988 तक प्रधानमंत्री रहे.

साल 1988 में फिर से पाकिस्तान में चुनाव हुए. इन चुनावों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की जीत हुई. बेनजीर भुट्टो  पाकिस्तान की  पहली महिला प्रधानमंत्री बनी. बेनजीर, जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी थी. यह सरकार भी ज्यादा दिनों तक नहीं चली.  पाकिस्तान में फिर से 1990 में चुनाव हुए जिसमें नवाज शरीफ चुनकर आए. इन्हें मार्शल लॉ के जरिए हटा दिया गया.

पाकिस्तान वैसे तो एक लोकतांत्रिक देश है लेकिन उसका पूरा नाम इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान है. क्रिकेट से राजनीति की दुनिया में आए इमरान खान पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में कुछ नया करने के लिए आए. भले ही उन्हें चुनावों में पूर्ण बहुमत न मिला हो लेकिन वे जनता के मुद्दों को उठाने में सफल रहे हैं. इमरान ने पाकिस्तान के चार बड़े मुद्दों पर खुलकर आवाज बुलंद की जिनमें बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था और आतंकवाद है.

राजनीति में आने के बाद इमरान ने हमेशा ऐसे मुद्दों को अपनी आवाज दी है जो जनता को प्रभावित करते हैं। नवाज शरीफ, आसफ अली जरदारी जैसे राजनेताओं को कड़ी टक्कर दी। पाकिस्तान की दो सबसे बड़ी पार्टियां मुस्लिम लीग और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को इमरान की नवांकुर पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने चुनौती दी है। आम चुनाव 2018 में तो दोनों पार्टियां घुटने टेकते हुए नज़र आईं। भारत के विषय में इमरान ने हमेशा सधी टिप्पणी की है। क्रिकेटर यह बात अच्छे से समझता है कि किस गेंद पर चौका और किस गेंद पर छक्का लगाना है.

अभी तक इमरान तीन शादियां कर चुके हैं. तीसरी पत्नी बुशरा मानेका ने उन्हें एक बार कहा था कि यदि आप प्रधानमंत्री बनना चाहते हो तो आपको तीसरी शादी करनी होगी. बुशरा मानेका एक पीरनी है, उन्हें पिंकी पीर के नाम  से भी जाना जाता है. अब देखना होगा कि बुशरा बीबी की भविष्यवाणी किस हद तक सही होगी और कब तक इमरान को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाकर रखेंगी।

यही दौर पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में चलता रहा है. आगे क्या होगा यह तो समय ही बताएगा. इमरान की सरकार शायद अपनी सरकार के पांच साल पूरा करने में कामयाब हो.

📃BY_vinaykushwaha