विश्व धरोहर दिवस जिसे इंग्लिश भाषा में world heritage day के नाम से जाना जाता है। यह प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है। 1982 से प्रतिवर्ष यह मनाया जा रहा है। इस दिन को विश्व विरासत स्थल के लिए समर्पित किया गया है। यह दिवस केवल विश्व धरोहर को सहेजने के लिए ही नहीं बल्कि इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए भी है। विश्व में कुल 1052 विश्व विरासत स्थल है। इन धरोहरों में से भारत में कुल 35 विश्व धरोहर है। विश्व धरोहर स्थल की घोषणा यूनेस्को के द्वारा किया जाता है जो कि संयुक्त राष्ट्र का ही अंग है।
यह तो हुई सामान्य जानकारी कि क्याें? कैसे? कब? हमें सर्वप्रथम यह जानना चाहिए कि विश्व विरासत दिवस क्यों मनाना चाहिए? जब यह तय हुआ कि विश्व विरासत दिवस मनाया जाएगा तो उसका उद्देश्य था कि विश्व विरासत स्थल के संरक्षण और समृद्धि के लिए इस दिवस को मनाया जाएगा। लेकिन हम यह भूल गए कि जो स्मारक विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल नहीं है क्या उनका संरक्षण, रखरखाव और समृद्ध करना हमारा कर्तव्य नहीं बनता। आखिरकार यही स्मारक आगे जाकर विश्व विरासत स्थल बनेंगे।
यूनेस्को विश्व विरासत स्थल को तीन भागों में बांटा है पहला सांस्कृतिक, दूसरा प्राकृतिक और तीसरा मिश्रित। तीनों का अपना-अपना महत्व है। लेकिन जैसा कि मैं मानता हूं कि हमें सभी को उतना ही महत्व देना चाहिए जितना कि हम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को देते है। यदि प्रकृति को बचा लेते है तो बाकी की धरोहरों का अपने आप ही संरक्षण हो जाएगा। बायो डायवर्सिटी रिजर्व हो या नेशनल पार्क या अभ्यारण्य हो या सामान्य वन क्षेत्र इनके अलावा भी भूमि, जल, पर्वत आदि का संरक्षण शामिल है।
अब बात आती है कि विश्व विरासत स्थल क्यों? विश्व धरोहर स्थल की वास्तविकता में जरुरत है क्योंकि इनके होने से इन स्मारकों के संरक्षण की गारंटी बढ़ जाती है। केवल संरक्षण ही नहीं यह स्मारक कमाऊ भी बन जाते है। जितनी विश्व विरासत स्थल है आज कमाऊ होने से उनके रखरखाव में आसानी हुई है। इससे देश, व्यक्ति और स्मारक सभी को लाभ मिलता है।
भारत में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक महत्व की स्मारकों की संख्या में कमी नहीं है। यहां के हर शहर में इसकी झलक आसानी से देखने को मिल जाती है। पक्षपात पूर्ण रवैए के चलते भारत को प्रतिनिधित्व का मौका कम मिल पाया है। भारत से ज्यादा स्मारकों को विश्व विरासत का नाम इटली, फ्रांस, चीन, स्पेन की स्मारकों को मिला है। यह कहां तक न्यायसंगत है। भारत का केवल एकमात्र शहर विश्व विरासत शहर है अहमदाबाद। इसे भी 2017 में स्वीकारा गया था।
हमें तो केवल इतना ध्यान रखना है कि अपने इतिहास को संजोकर रखना है।
📃BY_vinaykushwaha