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सोमवार, 24 मई 2021

बकस्वाहा जंगल : सवा दो लाख पेड़ों की कीमत पर हीरे की चमक फीकी हो जाएगी

  



2,15,875 लाख पेड़ काटे जाएंगे। शायद ये आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो या बहुत ज्यादा हो। मैं कहूंगा कि ये पेड़ नहीं काटे जाएंगे बल्कि पर्यावरण की हत्या होगी। जिस बुंदेलखंड में लोग पानी के लिए तरसते हैं। जहां खेती के नाम पर साल का आधा समय वीरान रहता है वहां इस तरह की हरकत बड़े विनाश को जन्म देगी। बुंदेलखंड संस्कृति और सभ्यता का गढ़ रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं की बुंदेलखंड खनिज के मामले में अग्रणी है। खासकर मध्यप्रदेश वाले जिले।


भारत में मध्यप्रदेश का पन्ना जिला अकेला ऐसा जिला है जहां हीरा का उत्खनन होता है। अनुमान के मुताबिक पन्ना में कुल 22 लाख कैरेट हीरा था जिसमें से आजतक 13 लाख हीरा का उत्खनन किया जा चुका है। इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में पन्ना की खदानों में हीरा खत्म हो जाएगा। मध्यप्रदेश इस गौरव को कैसे जाने दे सकता है। एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य - मध्यप्रदेश।

अभी कुछ समय से एक जगह का नाम सोशल मीडिया में जोर शोर से लिया जा रहा है 'बकस्वाहा'। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बकस्वाहा जिले में हीरे के नए भंडार की खोज हुई है। छतरपुर बुंदेलखंड का ही जिला है जो पन्ना जिले का पड़ोसी है। छतरपुर से ज्यादा इसकी एक जगह जो विश्व भर में प्रसिद्ध है वो है खजुराहो को लोग जानते हैं। बकस्वाहा विंध्याचल पर्वत श्रेणी पर स्थित है जिसे भूगर्भशास्त्री अपशिष्ट पर्वत भी कहते हैं जो हिमालय से भी पुराना पर्वत है।

बकस्वाहा, पन्ना नेशनल पार्क के पास स्थित है। यदि इस जगह को कोई नुकसान होता है तो यहां के पूरे इकोलॉजिकल सिस्टम पर प्रभाव पड़ेगा। पन्ना नेशनल पार्क में टाइगर रिजर्व भी है। जिस पहाड़ी पर बकस्वाहा स्थित है उसी से केन नदी का उद्गम भी है। पन्ना और छतरपुर के कुछ हिस्से मिलकर बायो डायवर्सिटी बनाते हैं जिसमें पन्ना नेशनल पार्क भी शामिल है। हीरा कितनी पर हम उत्खनित करेंगे। बायो डायवर्सिटी कोई आम बात नहीं है, यूनेस्को द्वारा घोषित भारत में केवल 18 बायो डायवर्सिटी हैं जिसमें पन्ना भी शामिल है।

जिस हीरे के लिए पेड़ों को काटा जाएगा वो कभी जंगल थे। आप तो जानते ही होंगे कि कार्बन के दो अपरूप होते हैं जिसमें ग्रेफाइट और हीरा शामिल हैं। हीरा मात्र कार्बन है। शुरुआत कहां से हुई? मध्यप्रदेश शासन ने विश्व की सबसे बड़ी उत्खनन कंपनी रियो टिंटो को हीरा खोजने का काम दिया। कंपनी साल 2007 से लेकर 2010 तक सर्वे किया। इस सर्वे में कंपनी ने बताया कि छतरपुर के पास बकस्वाहा में लगभग 3.42 करोड़ कैरेट का हीरा है। इस बात से सरकार के मन में आशा की नई किरण आई क्योंकि सरकार को राजस्व का एक बड़ा हिस्सा दिखाई दिया।

कंपनी ने सरकार के सामने बड़े प्लान रखे जिसमें लगभग 11 लाख पेड़ कटने थे। बात जमी नहीं ऐसा कहा जाता है कि सरकार और कंपनी के बीच अनबन हो गई और कंपनी ने बोरिया बिस्तर बांधा और चलती बनी। साल 2019 में फिर से सरकार ने हीरे के उत्खनन के लिए नीलामी शुरुआत की। इस नीलामी में दो कंपनियां सबसे आगे रहीं जिसमें बिरला और अडाणी थी। इस डील को बिरला ने जीत लिया।

इस नीलामी की बोली लगी 55 हजार करोड़ की। सरकार को इस डील में से मिलेंगे लगभग 23 हजार करोड़ रुपये। बस इस डील का फायदा केवल इतना है कि पेड़ काटे जाएंगे 2.15 लाख। दया के नाम पर पेड़ों की संख्या घटा दी ताकि लोगों को इस उत्खनन के प्रति सहानुभूति हो। जिंस देश में लोगों को स्वच्छ हवा और पानी नहीं मिलता हो वहां इतने सारे पेड़ काटना तो मूर्खतापूर्ण ही है। डील यहीं तक नहीं है। कंपनी सरकार से लगभग 62 हेक्टेयर जमीन उत्खनन के लिए मांगी है। इसके अलावा लगभग 382 हेक्टेयर जमीन की मांग और की गई है ताकि इंडस्ट्री स्थापित की जा सके। ये इंडस्ट्री हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग से संबंधित होगी।

बेशक इंडस्ट्री की जरूरत है लेकिन पर्यावरण को ताक पर रखकर तो बिल्कुल नहीं। इस हीरे के उत्खनन के लिए जितने पेड़ों को काटा जाएगा उतने पेड़ों को दोबारा लगाया जा सकेगा। यदि एक बार को इसे हां में मान भी लिया जाए तो उतनी विविधता के पेड़ लगाए जा सकेंगे जो आज जंगल में मौजूद हैें। पेड़ों के नाम एक ही तरह के पेड़ लगाए जाएंगे या तो यूकेलिप्टस या बांस या कोई और। यूकेलिप्टस को तो इकोलॉजी का शत्रु कहा जाता है।

नई डील के मुताबिक ये कहा गया है कि बकस्वाहा वाले भाग में कोई भी जैव विविधता नहीं है। वहीं पांच साल पहले हुए एक सर्वे में ये बताया है कि यहां हिरण, चीतल, जंगली भैंसा, बाघ के मूवमेेंट मिले हैं। पता नहीं ये कैसे हो जाता है कि कुछ ही सालों में सबकुछ बदल जाता है और सबकुछ नया हो जाता है। क्या कहीं .ऐसा होता है कि किसी नेशनल पार्क या बायो डायवर्सिटी के पास वाले इलाके में कोई जैव विविधता नहीं होगी। ये सुनकर और पढ़कर तो केवल हंसी आती है।

पता नहीं क्या होगा? मेरी ये आशा है कि जो भी हो अच्छा हो। जंगल हमारे लिए प्राथमिकता होने चाहिए। हीरा हमारे लिए प्राथमिकता की श्रेणी में नहीं होने चाहिए। जंगल हमें वो देते हैं जो हीरा कभी नहीं दे सकता है। हीरे के लिए हीरे को हमें नहीं खोना चाहिए।

BY_vinaykushwaha


(फोटो इंटरनेट से डाउनलोड की गई है)

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

कोरोना 2.0 बच्चों के लिए काल बनकर आया है!

 


देश में अबतक 12 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। ये 12 करोड़ लोग कुल जनसंख्या का लगभग 9 फीसदी बैठता है। जहां भारत में 45 साल से ऊपर वालों को वैक्सीन ड्राइव चलाई जा रही है वहीं यूएस में 16 साल से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।भारत में कोरोना की पहली लहर में जहां बच्चे  काफी हद तक सुरक्षित थे, वहीं कोरोना की दूसरी लहर में बच्चों पर प्रभाव दिखना शुरू हो गया है। कई मीडिया रिपोर्टस में सामने आया है कि कोरोना की दूसरी लहर में बच्चे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बच्चों में किसी भी प्रकार के घातक प्रभाव के बारे में कोई जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं आई है।

कोरोना की दूसरी लहर जिसे इंडियन म्यूटेंट भी कहा जा रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट  का कहना है कि ये डबल म्यूटेंट वायरस है जो पहले की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक है। वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि भारत में ये डबल म्यूटेंट वायरस यूके और ब्राजील से भारत में आया। यूके और ब्राजील वेरियेंट ने भारत में आकर अधिक तबाही मचाई है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन कहना है कि कोरोना से बच्चे ज्यादा संक्रमित नहीं होते बल्कि वे इसके वाहक होते हैं। भारत में अब वयस्कों के साथ-साथ बच्चे भी इसका शिकार बन रहे हैं। 

ब्राजील में अबतक कोरोना की वजह से   1300 बच्चे काल के गाल में समा गए हैं। दक्षिण अमेरिका के इस देश ने सबको चौंका दिया है क्योंकि ब्राजील की स्वास्थ्य प्रणाली विश्व की  बेहतरीन थी। लेकिन चूक कहा हुई एक्सपर्ट का कहना है कि ब्राजील में कोविड 19 के टेस्ट बहुत ही कम हो रहे हैं। ऐसी भी खबर सामने आ रही है कि टेस्ट न होने की वजह से रोगी का सही ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है और कोरोना के कारण उसकी मृत्यु हो जा रही है। भारत में बच्चों में कोरोना के लक्षण सामने आने का एक कारण ये भी हो सकता है कि लोग बच्चों का कोरोना टेस्ट करा रहे हैं। 

भारत में कोरोना की  पहली लहर में सबकुछ बंद था। कोई भी गतिविधि नहीं हो रही थी। ट्रेन, बस, एयरपोर्ट सब बंद थे। मॉल, स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटी, बाजार, सरकारी ऑफिस भी बंद था। लोग घरों में कैद हो गए हो गए थे। बच्चों का घरों से बाहर निकलना बंद हो गया था। बच्चों ने हाइजिन की नई परिभाषा सीख ली थी। मास्क, सैनिटाइजर और दो गज की दूरी रखना बच्चों ने सीख लिया था। भारत में जैसे ही धीरे-धीरे अनलॉक होने लगा तो बच्चों में ये आदतें धीरे-धीरे जाती रही। लोग बच्चों को लेकर शादी, सोशल प्रोग्राम, नई-नई जगह घूमने जाने लगे जिसका नतीजा नए स्ट्रेन ने बच्चों को भी अपनी गिरफ्त लेना शुरू कर दिया ।

इसमें कोई दोराय नहीं है कि कोरोना का दूसरी लहर ने लोगों को परेशान किया है। आईसीएमआर(ICMR), नीति आयोग और एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ मुख्य आंकड़ें दिए गए। इन आंकड़ों में कहा गया है कि भारत के कुल संक्रमितों में 0 से 19 आयु वर्ग वाले बच्चों का हिस्सा मात्र 5.8 फीसदी है। यह आंकड़ा पिछली लहर से मात्र 1.8 फीसदी ज्यादा है जो पिछली बार 4.2 फीसदी था। दूसरी लहर में कोरोना से संक्रमित होने वाले सबसे ज्यादा लोगों में 40 से अधिक आयु वर्ग वाले लोगों का है। 

बच्चों की चिंता सबको है क्योंकि वे देश का भविष्य हैं। कोरोना इस दुनिया के लिए अभिशाप है। लोगों को धैर्य से काम रखना होगा। बच्चों में कोई लक्षण दिखाई दे तो टेस्ट कराएं। टेस्ट कराने के बाद सबकुछ सामने आता है। बेवजह न घबराएं। मास्क, सैनिटाइजर और दो गज की दूरी का पालन करवायें। यही एक उपाय है।  

 BY_vinaykushwaha 

रविवार, 18 अप्रैल 2021

कोरोना की भयंकर लहर में किसान आंदोलन की कितनी जरुरत है?

 


भारत में कोविड 19 के अब 2 लाख से ज्यादा केस रोजाना मिलने लगे हैं। विश्व में भारत फिर से रोजाना कोविड 19 के रोजाना केस के मामले में सबसे आगे बढ़ने की होड़ में है। हर रोज कोरोना काल बनकर 800 लोगों को लील रहा है।  कोविड की दूसरी लहर जानलेवा है...नहीं-नहीं....भयानक महाविनाश है। लोगों को समझ आ गया है कि करना क्या है। आज लोगों को मास्क और सैनिटाइजर की अहमियत समझ आ गई है। कुछ लोग है कि मानते ही नहीं। उन्हें न तो अपनी चिंता है न औरों की । वो तो केवल अपने तथाकथित अधिकारों की बात कर रहे हैं।

किसान आंदोलन इस कोरोना की भयानक लहर में भी जारी है। दिल्ली की बॉर्डर पर बैठे ये किसान अपने अधिकारों की बात कर रहे हैं। तीन कृषि कानून को वापस लेने के लिए सरकार के आगे दृढ़निश्चय होकर संकल्प लेकर बैठ गए हैं। किसानों का कहना है कि जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक दिल्ली बॉर्डर से हिलेंगे तक नहीं। मुझे समझ नहीं आता कि ये किस तरह का विरोध प्रदर्शन है जहां एक ओर सारा देश कोरोना से जंग लड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर ये किसान अपनी मांगों को लेकर अड़िग हैं।

इन किसानों ने गर्मी का सारा इंतजाम कर लिया है। एयर कंडीशनर वाली हट या झोपड़ी तैयार हो गई हैं। सबकुछ इंतजाम हो गया है। किसानों को लग रहा है कि उनका भी वही हाल न हो जाए जो शाहीनबाग का हुआ था। कोरोना के कारण शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाया गया था। किसानों को समझना चाहिए ये समय लड़ाई का नहीं समन्वय का है। आंदोलन तो सबकुछ सामान्य होने के बाद भी जारी रख सकते हैं। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष राकेश टिकैत का कहना है कि हमारे मांगें पूरी होंगी तभी यहां से हटेंगे।

एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि क्या हमारे आंदोलन खत्म करने से देश में कोरोना खत्म हो जाएगा? बंगाल के चुनाव में भी किसान आंदोलन की बयार चल रही है। किसानों के मुद्दों को किसान संगठन बंगाल के कोने-कोने तक फैला रहे हैं। दबी खबर तो ये है कि सरकार किसान  आंदोलन को खत्म करने पर विचार कर रही हैं। कई मीडिया रिपोर्टस कह रही हैं कि केंद्र सरकार ने हरियाणा सरकार को किसानों को दिल्ली बॉर्डर से हटाने की जिम्मेदारी दी है। केंद्र सरकार हवाई सर्वेक्षण करवाकर अर्ध्दसैनिकों के व्दारा किसानों को सिंघु और टीकरी बॉर्डर से हटवाना चाहती है।

कोरोना के चलते लॉकडाउन और किसान आंदोलन के चलते रास्ते बंद होना लोगों के लिए सिर दर्द बन गया है। परेशान लोग अब किसी नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। खबर है कि लोगों ने यूपी सरकार उच्च अधिकारियों के जरिये सीएम योगी आदित्यनाथ तक रास्ते की सिरदर्दी वाली खबर पहुंचाई है। लोगों को भी आशा है कि ये आंदोलन खत्म हो तो हमें राहत की सांस लेने मिले।

किसानों को अपनी और दूसरों की चिंता होनी चाहिए। दिल्ली में कोरोना के रोजाना  मामले 20 हजार को पार कर गए हैं। वहीं यूपी में 26 हजार और 7 हजार से ज्यादा रोजाना कोरोना के केस सामने आ रहे हैं। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने वीकेंड लॉकडाउन लगा दिया है। दिल्ली में कभी संपूर्ण लॉकडाउन लग सकता है। यूपी में पंचायत चुनाव खत्म होने वाले हैं तो इसके बाद तो यूपी में भी लॉकडाउन लगना तय है। किसान चारों ओर से फंस जाएंगे फिर उन्हें अपनी ही बात अंधेरे में तीर मारने जैसे लगने लगेगी।


📖 BY_vinaykushwaha