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शुक्रवार, 8 जून 2018

पुस्तक समीक्षा: हम असहिष्णु लोग


आप तो मां सरस्वती के पुत्र हो तर्क के आधार पर सरकार को कठघरे में खड़े कीजिए। वरना समाज तो यही कहेगा कि आप साहित्य को राजनीति में घसीट रहे हैं। इन्हीं तथ्यपरक बातों के साथ देश में फैली अराजकता पर कटाक्ष करती एक पुस्तक 'हम असहिष्णु लोग'। अर्चना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक लोकेन्द्र सिंह ने लिखी है। इस पुस्तक में देश में हो रहे कथित आंदोलनों और मुहिमों पर कड़ा तमाचा जड़ा है। लेखक ने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित अपने लेखों के संग्रह को एक पुस्तक की शक्ल दी है।

पुस्तक के शीर्षक को देखें तो एक बार ऐसा लगता है कि यह किसी अराजकता की बात कह रहा है लेकिन ऐसा नहीं है। इस पुस्तक का शीर्षक 'हम असहिष्णु लोग' रखने के पीछे लेखक का देश में हो रही गतिविधियों से हैं जिसमें कुछ लोग स्वयं अराजकता फैला रहे है और समाज व देश की भोली-भाली जनता को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं साथ ही अव्यवस्था का ठीकरा किसी और फोड़ रहे हैं। यह पुस्तक उन अनैतिक गतिविधियों की गवाह है जिन्हें देश में बड़े जोर-शोर से चलाया जाता रहा। अवॉर्ड वापसी, यह एक ऐसा अभियान था जिसमें लेखक, साहित्यकार आदि में अपने अवॉर्ड वापस करने की होड़ मची थी। इस मुहिम को लेखक ने अवॉर्ड वापसी गैंग का नाम दिया है। सच ही है कि यह एक गैंग है जिसने असहिष्णुता के नाम पर अवॉर्ड वापसी की मुहिम चलाकर लोगों को बरगलाया गया। चाहे नयनतारा सहगल हो या अशोक बाजपेयी हो ने अपने अवॉर्ड वापस किए और तर्क भी ऐसे दिए कि जिनका मेल दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। एक साहित्यकार ने तो तर्क दिया कि सिक्ख दंगों के वजह से मैं अपना अवॉर्ड वापस कर रहा हूं। इसी मुहिम के खिलाफ लेखक ने जमकर लताड़ लगाई है।

इस पुस्तक में अवॉर्ड वापसी के अलावा असहिष्णुता के मुद्दे पर देश भर में फैलाई जा रही भ्रांतियों के बारे में लिखा है कि कैसे एक अभिनेता अपनी असुरक्षा के बारे में बात करता है और उनकी पत्नी कहती है कि यदि ऐसा ही माहौल रहा तो हमें देश छोड़ना होगा। देश में अव्यवस्था फैलाने  वाले ऐसे लोगों पर तर्क सहित अपनी बातें रखी हैं। चाहे मामला गोमांस भक्षण का हो या किसी वर्ग विशेष को प्रोत्साहन देने की इन विषयों पर लेखक ने अपनी बात को बेबाकी से रखा है। सारे आम गोमांस खाकर हिन्दु धर्म के लोगों को चिढ़ाया जा रहा है और इसे बीफ पार्टी का नाम दिया जा रहा है। केरल जैसे राज्य जहां साक्षतरता दर सर्वाधिक है वहां सार्वजनिक स्थलों पर बीफ पार्टी का आयोजन किया जा रहा है। इसी विषय को किताब में जगह दी गई है और तर्कों के साथ बताया है कि किस प्रकार कुछ मुट्ठी भर लोग समाज में अव्यवस्था और साम्प्रदायिकता  फैलाने का कार्य कर रहे हैं।

इन सबके अलावा पुस्तक में देश विरोधी अभियान और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हुई देश विरोधी गतिविधियों को भी शामिल किया गया है। जहां जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारे सुनाई दिए वही देश के अन्य विश्वविद्यालयों में देश और समाज को बांटने वाली गतिविधियों के तार्किक विश्लेषण को लेखक ने अपनी किताब में जगह दी है। यहां तक की विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय आस्था की केन्द्र भारतमाता और हिन्दु धर्म की बेइज्जती के मामले में भी लेखक ने बड़ी सटीकता के साथ लिखा है। अफजल गुरु और याकूब मेनन को महिमामंडित करके उनके पक्ष में नारे लगाकर देश की न्यायव्यवस्था को धता बताया गया, जिस पर लेखक ने अपनी पुस्तक में कटाक्ष किया है।

रास्ते के नाम बदलने की बात हो या  पूर्व उपराष्ट्रपति  हामिद अंसारी की कर्त्तव्यपरायणता की बात हो सभी मुद्दों को लेखक ने जगह दी। कुछ वर्ग विशेष के द्वारा केन्द्र सरकार के उस फैसले पर रोष जताया जिसमें ऑरंगजेब रोड का नाम बदलकर कलाम रोड किया गया। लेखक ने इसका तथ्यपरक विश्लेषण करके अपनी किताब में लिखा कि कैसे कुछ लोग अभी भी उस व्यक्ति को याद करना चाहते है जिसने देश को लूटा, अत्याचार किया, मानवता को तार-तार किया। इसके अलावा पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के उन गतिविधियों पर करारा प्रहार किया जिसमें उनके द्वारा सेना को सलामी न देना, राष्ट्रीय ध्वज को सलामी न देना और हिन्दु-मुस्लिम राजनीति की बात करना जैसे मुद्दे शामिल है।

हम असहिष्णु लोग पुस्तक देश में हो रही देश विरोधी गतिविधियों का एक प्रमाण है जिसमें उन अराजक ताकतों के बारे में लिखा है जो देश को बांटने का काम कर रही है। इस पुस्तक में  सभी मुद्दों को  तथ्यों और तार्किक के साथ बड़ी सटीकता से लिखा गया है। एक बार जरूर पढ़े 'हम असहिष्णु लोग'।

📃BY_vinaykushwaha




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