2,15,875 लाख पेड़ काटे जाएंगे। शायद ये आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो या बहुत ज्यादा हो। मैं कहूंगा कि ये पेड़ नहीं काटे जाएंगे बल्कि पर्यावरण की हत्या होगी। जिस बुंदेलखंड में लोग पानी के लिए तरसते हैं। जहां खेती के नाम पर साल का आधा समय वीरान रहता है वहां इस तरह की हरकत बड़े विनाश को जन्म देगी। बुंदेलखंड संस्कृति और सभ्यता का गढ़ रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं की बुंदेलखंड खनिज के मामले में अग्रणी है। खासकर मध्यप्रदेश वाले जिले।
भारत में मध्यप्रदेश का पन्ना जिला अकेला ऐसा जिला है जहां हीरा का उत्खनन होता है। अनुमान के मुताबिक पन्ना में कुल 22 लाख कैरेट हीरा था जिसमें से आजतक 13 लाख हीरा का उत्खनन किया जा चुका है। इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में पन्ना की खदानों में हीरा खत्म हो जाएगा। मध्यप्रदेश इस गौरव को कैसे जाने दे सकता है। एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य - मध्यप्रदेश।
अभी कुछ समय से एक जगह का नाम सोशल मीडिया में जोर शोर से लिया जा रहा है 'बकस्वाहा'। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बकस्वाहा जिले में हीरे के नए भंडार की खोज हुई है। छतरपुर बुंदेलखंड का ही जिला है जो पन्ना जिले का पड़ोसी है। छतरपुर से ज्यादा इसकी एक जगह जो विश्व भर में प्रसिद्ध है वो है खजुराहो को लोग जानते हैं। बकस्वाहा विंध्याचल पर्वत श्रेणी पर स्थित है जिसे भूगर्भशास्त्री अपशिष्ट पर्वत भी कहते हैं जो हिमालय से भी पुराना पर्वत है।
बकस्वाहा, पन्ना नेशनल पार्क के पास स्थित है। यदि इस जगह को कोई नुकसान होता है तो यहां के पूरे इकोलॉजिकल सिस्टम पर प्रभाव पड़ेगा। पन्ना
नेशनल पार्क में टाइगर रिजर्व भी है। जिस पहाड़ी पर बकस्वाहा स्थित है उसी से केन नदी का उद्गम भी है। पन्ना और छतरपुर के कुछ हिस्से मिलकर बायो डायवर्सिटी बनाते हैं जिसमें पन्ना नेशनल पार्क भी शामिल है। हीरा कितनी पर हम उत्खनित करेंगे। बायो डायवर्सिटी कोई आम बात नहीं है, यूनेस्को द्वारा घोषित भारत में केवल 18 बायो डायवर्सिटी हैं जिसमें पन्ना भी शामिल है।
जिस हीरे के लिए पेड़ों को काटा जाएगा वो कभी जंगल थे। आप तो जानते ही होंगे कि कार्बन के दो अपरूप होते हैं जिसमें ग्रेफाइट और हीरा शामिल हैं। हीरा मात्र कार्बन है। शुरुआत कहां से हुई? मध्यप्रदेश शासन ने विश्व की सबसे बड़ी उत्खनन कंपनी रियो टिंटो को हीरा खोजने का काम दिया। कंपनी साल 2007 से लेकर 2010 तक सर्वे किया। इस सर्वे में कंपनी ने बताया कि छतरपुर के पास बकस्वाहा में लगभग 3.42 करोड़ कैरेट का हीरा है। इस बात से सरकार के मन में आशा की नई किरण आई क्योंकि सरकार को राजस्व का एक बड़ा हिस्सा दिखाई दिया।
कंपनी ने सरकार के सामने बड़े प्लान रखे जिसमें लगभग 11 लाख पेड़ कटने थे। बात जमी नहीं ऐसा कहा जाता है कि सरकार और कंपनी के बीच अनबन हो गई और कंपनी ने बोरिया बिस्तर बांधा और चलती बनी। साल 2019 में फिर से सरकार ने हीरे के उत्खनन के लिए नीलामी शुरुआत की। इस नीलामी में दो कंपनियां सबसे आगे रहीं जिसमें बिरला और अडाणी थी। इस डील को बिरला ने जीत लिया।
इस नीलामी की बोली लगी 55 हजार करोड़ की। सरकार को इस डील में से मिलेंगे लगभग 23 हजार करोड़ रुपये। बस इस डील का फायदा केवल इतना है कि पेड़ काटे जाएंगे 2.15 लाख। दया के नाम पर पेड़ों की संख्या घटा दी ताकि लोगों को इस उत्खनन के प्रति सहानुभूति हो। जिंस देश में लोगों को स्वच्छ हवा और पानी नहीं मिलता हो वहां इतने सारे पेड़ काटना तो मूर्खतापूर्ण ही है। डील यहीं तक नहीं है। कंपनी सरकार से लगभग 62 हेक्टेयर जमीन उत्खनन के लिए मांगी है। इसके अलावा लगभग 382 हेक्टेयर जमीन की मांग और की गई है ताकि इंडस्ट्री स्थापित की जा सके। ये इंडस्ट्री हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग से संबंधित होगी।
बेशक इंडस्ट्री की जरूरत है लेकिन पर्यावरण को ताक पर रखकर तो बिल्कुल नहीं। इस हीरे के उत्खनन के लिए जितने पेड़ों को काटा जाएगा उतने पेड़ों को दोबारा लगाया जा सकेगा। यदि एक बार को इसे हां में मान भी लिया जाए तो उतनी विविधता के पेड़ लगाए जा सकेंगे जो आज जंगल में मौजूद हैें। पेड़ों के नाम एक ही तरह के पेड़ लगाए जाएंगे या तो यूकेलिप्टस या बांस या कोई और। यूकेलिप्टस को तो इकोलॉजी का शत्रु कहा जाता है।
नई डील के मुताबिक ये कहा गया है कि बकस्वाहा वाले भाग में कोई भी जैव विविधता नहीं है। वहीं पांच साल पहले हुए एक सर्वे में ये बताया है कि यहां हिरण, चीतल, जंगली भैंसा, बाघ के मूवमेेंट मिले हैं। पता नहीं ये कैसे हो जाता है कि कुछ ही सालों में सबकुछ बदल जाता है और सबकुछ नया हो जाता है। क्या कहीं .ऐसा होता है कि किसी नेशनल पार्क या बायो डायवर्सिटी के पास वाले इलाके में कोई जैव विविधता नहीं होगी। ये सुनकर और पढ़कर तो केवल हंसी आती है।
पता नहीं क्या होगा? मेरी ये आशा है कि जो भी हो अच्छा हो। जंगल हमारे लिए प्राथमिकता होने चाहिए। हीरा हमारे लिए प्राथमिकता की श्रेणी में नहीं होने चाहिए। जंगल हमें वो देते हैं जो हीरा कभी नहीं दे सकता है। हीरे के लिए हीरे को हमें नहीं खोना चाहिए।
BY_vinaykushwaha
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