(संविधान की प्रस्तावना)
आजकल देश में संविधान की प्रस्तावना की चर्चा हो रही है। जहां देखों वहां संविधान और प्रस्तावना की बात कहकर नीति और न्याय की चर्चा की जा रही है। केरल में पहली बार दस हजार मस्जिदों में तिरंगा फहराया गया। तिरंगा फहराने के अलावा यहां लोगों ने संविधान की प्रस्तावना को संकल्प की तरह पढ़ा। संविधान की प्रस्तावना को संविधान का निचोड़ भी कहा जाता है। कहा जाता है कि संविधान में कही गईं बातें प्रस्तावना से गुजरकर जाती हैं।
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है जिसमें दुनिया के कई देशों के संविधान से अच्छी बातों को लिया गया है। संविधान 26 नंवबर 1949 को बनकर तैयार हुआ था और इसे पहली बार 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इसे 26 जनवरी को लागू करने के पीछे कारण ये था कि 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस अधिवेशन में रावी नदी के किनारे संविधान लागू करने की बात की गई थी।
संविधान का कनेक्शन मध्यप्रदेश से रहा है। बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जिन्हें संविधान का निर्माता कहा जाता है वे एमपी के महू में जन्में थे। इस शहर को अब अंबेडकरनगर के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा एमपी का संविधान से एक और कनेक्शन है, संविधान में की गई चित्रकारी से। संविधान की प्रस्तावना समेत 22 भागों में चित्रकारी की गई है। संविधान के निर्माण के बाद भारत सरकार ने देश के प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस को चित्रकारी करने के लिए आग्रह किया।
नंदलाल बोस ने सरकार का आग्रह स्वीकार कर लिया और अपने 22 छात्रों को इस काम को सौंप दिया। इन छात्रों में सबसे प्रिय छात्र थे राम मनोहर सिंहा। नंदलाल बोस ने राम मनोहर को देश भ्रमण के लिए भेजा और कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता को परखो और जानो। संविधान में की गई चित्रकारी में संपूर्ण भारत की झलक साफ-साफ देखी जा सकती है। संविधान की प्रस्तावना के चारों ओर जो चित्रकारी की गई उसका श्रेय राम मनोहर सिंहा को जाता है। इनका पूरा नाम व्यौहार राममनोहर सिंहा था। इनके पिता व्यौहार राजेंद्र सिंहा प्रसिद्ध रचनाकार रहे हैं। सिंहा का संबंध एमपी के जबलपुर से रहा है। शांति निकेतन में वे नंदलाल बोस के करीबी रहे हैं।
(व्यौहार राममनोहर सिंहा)
प्रस्तावना के चारों ओर की गई चित्रकारी कोई आम चित्रकारी नहीं है। एक नजर में ये चित्रकारी सामान्य सी नजर आती है लेकिन ऐसा है नहीं। इसमें भारतीयता के प्रतीक छिपे हुए हैं। प्रस्तावना में की गई चित्रकारी में कुल सात प्रतीकों का इस्तेमाल किया है। इन प्रतीकों में वृषभ (बैल), गज(हाथी), मयूर(मोर), अश्व(घोड़ा), पद्म(कमल), हंस और व्याघ्र (बाघ) हैं। ये केवल प्रतीक ही नहीं भारतीय संविधान की विशेषता बतलाते हैं।
पृष्ठ के ऊपरी बाएं कोने में वृषभ है। वृषभ यानी धैर्यवान और साधुवत, ऊपरी दाएं कोने पर गज है जो की संविधान को उच्च बौद्धिक स्तर का बताता है। नीचे के हिस्से के दाएं कोने में बाघ का होना प्रतीक है कि हमारा संविधान निर्भीक और संप्रभुता संपन्न होगा। बायें कोने पर अश्व होना दर्शाता है कि संविधान गति और शक्ति से परिपूर्ण है। मोर सुचिता का प्रतीक है। हंस नैतिकता का प्रतीक है। पद्म प्रतीक है नव सृजन का। इस प्रकार से व्यौहार राम मनोहर सिंहा ने सिर्फ अलंकरण का कार्य नहीं किया बल्कि लोगों के बीच भारत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक धरोहरों को खूबसूरती से प्रस्तुत किया।
व्यौहार राममनोहर सिंहा अपने सौम्य व्यवहार के लिए जाने जाते थे। जिन लोगों ने संविधान निर्माण योगदान उनके हस्ताक्षर संविधान में मौजूद है। जब व्यौहार राममनोहर सिंहा से हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया तो उन्होंने सरकार साफ-साफ इनकार कर दिया। जब नंदलाल बोस ने सिंहा पर जोर दिया तो उन्होंने छोटे से हस्ताक्षर करते हुए राम लिख दिया। ऐसे थे व्यौहार राममनोहर सिंहा और ये था संविधान से एमपी का कनेक्शन।
📃BY_vinaykushwaha